अहमदाबाद, गुजरात मे यूपी-बिहार के लोगों के खिलाफ हिंसा जारी है।हिंसा के डर से उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य सूबे से काम करने गुजरात आए लोग भारी संख्या में अपने गृहराज्यों में वापस लौट रहे हैं।
गुजरात के साबरकांठा जिले में 14 माह की बच्ची से बलात्कार की घटना के बाद गैर-गुजरातियों खासकर यूपी, बिहार के लोगों पर एक बार फिर हमला हुआ है।तमाम सुरक्षा इंतजामों के बावजूद गुजरात में हिंसा की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। रविवार को वघोड़िया इंडस्ट्रियल एरिया की दो इंजिनियरिंग कंपनियों में काम कर रहे गैर-गुजरातियों पर कोटांबी और कामरोल गांव के 17 लोगों ने हमला बोल दिया। वहीं न्यू रानिप इलाके से भी झड़प की सूचना सामने आई है। पुलिस माहौल को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटी हुई है।
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सालों से गुजरात में रह रहे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के यह लोग भीड़ के डर से भाग रहे हैं। यह गुस्साई भीड़ 14 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के बाद, ‘गैर-गुजरातियों’ पर हमले कर रही है। सूत्रों के अनुसार, कई मकान मालिकों ने घर खाली करने को कह दिया था। प्रवासियों खासकर यूपी और बिहार के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। 28 सितंबर को जिस बच्ची से बिहार के शख्स ने कथित तौर पर बलात्कार किया, उसे शनिवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उसकी हालत खतरे से बाहर है। आरोपी को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था।
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बच्ची के साथ कथित रूप से बलात्कार करने के आरोप में बिहार के एक युवक को गिरफ्तार किए जाने के बाद गैर-गुजरातियों को निशाना बनाया गया और सोशल मीडिया पर नफरती संदेश फैलाए गए। गुजरात के डीजीपी शिवानंद झा के मुताबिक अबतक कुल 42 केस दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा 342 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाली और भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
डीजीपी ने बताया कि गुजरात से बाहरी लोगों पर हिंसा के इन मामलों में कुल 6 जिले प्रभावित हैं। मेहसाणा और साबरकांठा जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। मेहसाणा में 15 केस दर्ज हुए हैं जिसके तहत 89 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साबरकांठा में 11 केस दर्ज हुए हैं जबकि 95 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन दो जिलों के अलावा अहमदाबाद में 7 केस और 73 गिरफ्तारी, गांधीनगर में 3 केस और 27 गिरफ्तारी, अहमदाबाद ग्रामीण में 3 केस और 36 गिरफ्तारी, अरावली में 2 केस और 20 गिरफ्तारी व सुरेंद्रनगर में एक केस और दो गिरफ्तारी हुई है।
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ठाकोर समुदाय के लोगों ने इसमें शामिल आरोपियों की सामाजिक पृष्ठभूमि के सभी लोगों को बलात्कार में शामिल समझ लिया है। हाल के दिनों में बलात्कार को राजनीतिक रूप देने के लिए धार्मिक पृष्ठभूमि को उभारा गया ताकि उसके बहाने एक समुदाय पर टूट पड़ें। पीड़िता के साथ हुई क्रूरता के बहाने धार्मिक गोलबंदी का मौका बनाया जा रहा है। यही काम जाति के स्तर पर भी हो रहा है। गुजरात के सभी दलों ने इस घटना की निंदा की है। ठाकोर समाज के नेता अल्पेश ठाकोर ने भी निंदा की है और अपील की है।
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