लखनऊ, जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद, विपक्षी एकता के भविष्य के सबसे बड़े मंच, महागठबंधन के सामने नेतृत्व का संकट पैदा हो गया है. अब महागठबंधन को एक अदद एेसे चेहरे की जरूरत है जो साम्प्रदाटिक ताकतों को सीधी टक्कर दे सके.
तेजस्वी यादव का हमला-नीतीश जी ये कौन सा सिद्धांत है… आपको शर्म नहीं आती
विपक्षी एकता न होने के चलते ही, देश को हो रहा लगातार नुकसान-शिवपाल सिंह यादव
बिहार एपिसोड के बाद परिस्थितियां तेजी से बदलती दिख रही हैं. जिसमे यूपी की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है. सूत्रों के अनुसार, देश भर मे विपक्षी पार्टियों के थिंकटैंक नई रणनीति बनाने में जुटे हैं. नीतीश कुमार जैसे बड़े लेकिन पाला बदल चेहरे से झटका खाने के बाद महागठबंधन के संयोजकों को एक भरोसेमंद चेहरे की तलाश है. जो साम्प्रदायिक ताकतों के आगे किसी भी स्थिति मे घुटने न टेके और लंबी लड़ाई लड़ सके. जिसके नेतृत्व मे दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, प्रगतिशील वर्ग लामबंद हो सके.
नितीश के फैसले से नाराज, शरद यादव जल्द लेंगे फैसला, मान-मनौव्वल जारी
बिहार मे सरकार गठन के खिलाफ, सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं: लालू यादव
नीतीश कुमार के जाने के बाद अब उनकी जगह अखिलेश यादव की दावेदारी को मजबूत करने की कोशिशें तेज होती दिख रही हैं. इस समय महागठबंधन के सामने अखिलेश यादव ही एकमात्र एेसा युवा चेहरा हैं जो कभी आरएसएस, बीजेपी और मोदी को लेकर मुलायम नही दिखे. साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई मे पीछे हटने वाले नेताओं में नहीं हैं.
समाजवादी परिवार की एकता की कोशिशें दिखाने लगी रंग, मुलायम सिंह हुये सक्रिय
शिक्षा मित्रों का कई जिलों मे आंदोलन जारी, शिक्षामित्र हरेश यादव की जहर खाने से मौत
हाल ही मे, विधान परिषद में अपने संबोधन में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि सोचिए अगर यूपी में सपा, कांग्रेस और बसपा एक साथ आ जाती है तो बीजेपी का क्या होगा. उन्होने यूपी मे सत्ता जाने के बाद कई मौकों पर यह दोहराया कि हम समाजवादी हैं और साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.
ना- ना करते, प्यार तुम्ही से कर बैठे- अखिलेश यादव
तेजस्वी तो बहाना था, नीतीश कुमार को, बीजेपी की गोद मे जाना था-लालू यादव
यूपी विधानसभा में सपा, कांग्रेस और बसपा पहली बार एकजुट होकर योगी सरकार के सामने मजबूत विपक्ष पेश करने की कोशिश कर रही हैं. जिसका नेतृत्व अखिलेश यादव कर रहे हैं. उनकी इस कवायद को भविष्य के महागठबंधन के तौर पर देखा जाने लगा है. अखिलेश यादव के साथ सबसे अच्छी बात है कि आरजेडी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बीजेडी, कम्युनिस्ट पार्टियों आदि सभी से उनके मधुर संबंध हैं. यूपी जैसे सबसे बड़े राज्य का वह प्रतिनिधित्व करतें हैं. साथ ही भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों से मुक्त हैं.
नीतीश कुमार ने धोखा दिया, जनादेश सांप्रदायिकता के खिलाफ था-राहुल गांधी
अखिलेश यादव ने दी, भाजपा सरकार को खुली चुनौती?
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा 27 अगस्त को पटना में बुलाई गई महारैली मे महागठबंधन के नये नेता के रूप मे अखिलेश यादव के नाम की घोषणा की जा सकती है. इस बात के संकेत खुद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने रांची में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिये हैं.
अखिलेश यादव ने सीएम योगी को दिया, सेल्फी लेने का सुझाव, सेल्फी स्पाट भी बताया?
योगी सरकार की हरकत का, अखिलेश यादव ने दिया करारा जवाब, पिता का भी रखा खयाल
Loading...