अहमदाबाद, गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले पर असंतोष जाहिर करते हुए, इस हत्याकांड में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने कहा कि अदालत ने उनके साथ अन्याय किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह विशेष एसआईटी अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा ‘मुझे समझ नहीं आया कि क्यों 11 दोषियों को उम्र कैद और कुछ को केवल सात साल या दस साल कैद की सजा सुनाई गई। यह सलेक्टिव एप्रोच क्यों अपनाई गई जबकि वह सभी लोग गुलबर्ग सोसायटी के अंदर लोगों की जान लेने वाली भीड़ का हिस्सा थे। यह गलत न्याय है। ।
उन्होंने दंगे वाले दिन का ब्यौरा देते हुये बताया कि सुबह 7 बजे से यह सब शुरू हुआ, मैं वहीं थी। मैंने सब अपनी आंखों से देखा। मेरे सामने इतनी बेरहमी से लोगों को जलाया गया। मेरे पति अहसान जाफरी को भी जला दिया गया। क्या ऐसे लोगों को इतनी कम सजा मिलनी चाहिए। यह गलत इंसाफ है, ज्यादातर लोगों को छोड़ दिया है। सभी को उम्रकैद की सजा दी जानी चाहिए।करीब 15 साल बाद फैसला आया है। 24 दोषी करार दिए गए हैं, लेकिन 36 को छोड़ दिया गया।
गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड गुजरात दंगों के 10 बड़े दंगों में है। इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगे थे। 2010 में उनसे पूछताछ हुई थी। बाद में एसआईटी ने क्लीनचिट दे दी।
जाकिया जाफरी ने कोर्ट में अपने बयान में बताया कि मेरे पति अहसान जाफरी मूल रूप से मप्र के बुरहानपुर के रहने वाले थे। इमरजेंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में वह सांसद चुने गए थे। हत्याकांड से पहले अहमदाबाद के पुलिस कमिशनर पी सी पांडे गुलबर्ग सोसाइटी पहुंचकर पूर्व सांसद जाफरी से मिले और उनके परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की बात कही, लेकिन सोसाइटी के दूसरे लोग भी जाफरी के घर आकर जमा हो गए। इसलिए जाफरी ने उन लोगों को छोड़कर जाने से इनकार कर दिया था।
77 साल की जकिया जाफरी ने कहा कि कम सजा दी गई है। मुझे फिर तैयारी करनी होगी, वकीलों से राय लेकर आगे बढ़ना पड़ेगा। मुझे न्याय नहीं मिला। 14 साल से बीमारी के बावजूद वो लगातार अलग अलग एजेंसियों में न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं। एसआईटी से लेकर कोर्ट तक हर जगह उन्होंने लड़ाई लड़ी है।
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा कि इस जजमेंट से निराशा हुई है। 11 लोगों पर गंभीर आरोप थे तो उन्हें तो उम्रकैद की सजा होनी ही थी, लेकिन 12 लोगों को सिर्फ 7 साल की सजा देने ठीक नहीं है। घंटों खड़े होकर दोषियों ने लोगों को जलाया। मेरे हिसाब से यह वीक जजमेंट हैं। इस पर हम आगे अपील करेंगे।