इटावा, उत्तर प्रदेश में तीन लाख की आबादी वाले इटावा शहर में अनदेखी के चलते 40 पार्क बदहाली के शिकार हो गए हैं।
मॉर्निंग वॉकर्स का पसंदीदा माने जाने वाला मुख्यालय स्थित कंपनी गार्डन पार्क भी बदहाली के कगार पर है। इस पार्क में कुछ समय पहले बचपन खिलखिलाता था पर अब झूले टूटने से बच्चे वहां नहीं जाते। मॉर्निंग वॉकर्स के सामने भी समस्या खड़ी हो गई है कि वह ताजा हवा लेने जाएं तो जाएं कहां।
इटावा शहर में मात्र एक ही पार्क कंपनी गार्डन ऐसा है, जहां हरियाली के बीच लोगों को शुद्ध हवा मिल रही है लेकिन अब इस पर भी ग्रहण लगने लगा है। कई किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचने वाले लोगों में नाराजगी है कि उनसे वाहन स्टैंड का किराया भी वसूला जाता है। सुबह की सैर पर इस फीस की फांस हटाने की मांग लगातार मॉर्निंग वॉकर्स कर रहे हैं।
स्थानीय निवासी शैलेंद्र यादव ने कहा कि पार्क का रखरखाव सही से न होने की वजह से झूले टूटे पड़े हैं। अभिभावक बच्चों को लेकर आते हैं पर झूलों की तरफ जाने नहीं देते कि कहीं उन्हें चोट न लग जाए। देखरेख के अभाव में पार्क बदहाल होता जा रहा है। झूले टूट गए हैं। इनके रखवाले भी अब इसे भूलते जा रहे हैं।
केवल तीन घंटे के लिए सुबह छह से नौ बजे तक पार्क में टहलने की छूट दी जाती है। अंग्रेजों के जमाने में बने इस कंपनी गार्डन पार्क में उद्यान विभाग ने एक जनवरी से टहलने व खुली हवा लेने वालों से शुल्क लेना शुरू किया पर भारी विरोध के बीच फैसला वापस ले लिया गया। दफेदार सिंह का कहना है कि उद्यान विभाग इस अच्छे खासे पार्क को सहेज नहीं पा रहा। ऐसा ही रहा तो शहर में एक भी पार्क ऐसा नहीं बचेगा जहां पर लोग खुलकर सांस ले सकें।
समाजवादी पार्टी सरकार ने सन् 2012 में कंपनी गार्डन को डा. राम मनोहर लोहिया पर्यावरणीय पार्क कंपनी बाग का नाम दिया। इसमें विभिन्न प्रजातियों के पांच हजार पौधे लगे हैं लेकिन अब यह भी रखरखाव न होने से यह मुरझा रहे हैं। नुमाइश पंडाल के पास बने बुद्धा पार्क के ट्रैक पर बिछे पत्थर टूट चुके हैं जिसके चलते मॉर्निंग वॉकर्स यहां दौड़ नहीं लगा पाते है।
उधर, टिक्सी मंदिर के पास स्थित देव स्मारक पार्क में रखरखाव न होने से धूल उड़ रही है। वहां पहले काफी मॉर्निंग वॉकर्स जाते थे। कई इलाकें ऐसे भी हैं जहां पर पार्कों में अवैध कब्जे हैं। अफसरों से लिखित शिकायतों के बाद भी समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। यहां लोगों का आना पहले से काफी कम हो गया है।
नुमाइश के निकट जिस बच्चा पार्क का कभी पूरे शहर में नाम हुआ करता था। आज वह पूरी तरह से बदहाली का शिकार है। कभी यह पार्क सुबह और शाम के समय बच्चों से गुलजार रहता था। बच्चों के संग उनके परिजन भी पार्क में टहलते थे। यहां कि हरियाली देखने लायक होती थी। लेकिन आज हरियाली के नाम पर सूखे पेड़ पौधे लगे हुए हैं। अब लोग इस पार्क में टहलने की जगह नुमाइश मैदान में टहलते हैं।
बुद्धा पार्क का सुंदरीकरण कराने के लिए नगर पालिका ने साल 2011-12 में 12 लाख रुपये की धनराशि भी खर्च की थी, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। साल 2016 में नगर निगम ने दोबारा पार्क पर 25 लाख खर्च किए। उक्त धनराशि से पार्क के आसपास दीवार निर्माण के साथ ही विभिन्न प्रकार के झूले, बेंच और अमेरिकन लान घास लगाई गई। लेकिन, अब न ही पार्क में झूले नजर आ रहे हैं और न ही बेंच। लाखों खर्च होने के बाद भी पार्क बदहाल पड़ा है।
स्थानीय वासी राजवीर सिंह का कहना है कि पार्क टहलने के साथ ही लोगों के लिए मेलजोल का एक अच्छा माध्यम है। पार्कों में बैठकर सुबह शाम लोग बौद्धिक चर्चाएं भी करते हैं। लेकिन शहर में पार्कों की स्थिति काफी दयनीय हालत में है। मजबूरी में बुर्जुगों को इधर-उधर बैठकर चर्चाएं करनी पड़ती है। बेहतर पार्क होंगे तो शहर का प्रबंध भी सुधरेगा और लोगों का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
एक अन्य निवासी गौरव गुप्ता का कहना है कि सराय शेख मोहल्ले के पास कोई भी पार्क नहीं है। मजबूरी में बाइक से दूसरे इलाके के पार्क में जाना पड़ता है।
इटावा नगर पालिका का अधिशाषी अधिकारी विनय कुमार मणि त्रिपाठी का कहना है कि पार्कों की बदहाली को लेकर नगर पालिका स्तर के अलावा अन्य संबंधित विभागों से समीक्षा की जा रही है। समीक्षा के बाद सभी पार्कों की बदहाली दूर करने की दिशा पर काम किया जायेगा।