असीमानंद ने अजमेर विस्फोट में अपनी संलिप्तता स्वीकार की, पर अदालत ने रिहा कर दिया ?
April 2, 2017
हैदराबाद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख, असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को केंद्र सरकार से स्वामी असीमानंद की जमानत रद्द करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया। असीमानंद 2007 मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में आरोपी हैं। असीमानंद के हैदराबाद जेल से बाहर आने के एक दिन बाद एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ने संवाददाताओं से कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार आतंकवाद से निपटने के लिए दोहरे मानदंड अपना रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आतंकवाद के आरोपों का सामना कर रहे गैर मुस्लिम लोगों के प्रति नरम रुख अपनाए हुए है, जबकि उनका मुस्लिमों के प्रति सख्त रुख है। उन्होंने कहा कि भाजपा आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की बातें करती थी और कहती थी कि वह आतंकवाद की समस्या को धार्मिक नजरिए से नहीं देखती। ओवैसी ने कहा, असीमानंद के लिए इतना प्यार क्यों? उनकी जमानत रद्द की जाए। आप एक तरफ नरम तो दूसरी तरफ सख्त रुख अख्तियार नहीं कर सकते। ओवैसी ने कहा कि असीमानंद ने अजमेर विस्फोट मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी, लेकिन उसके बाद भी उसे अदालत ने रिहा कर दिया। भाजपा सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ अपील भी नहीं की।
उन्होंने कहा कि असीमानंद के अच्छे दिन आ गए हैं और अब अच्छे दिन साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित के लिए भी आएंगे। उन्होंने कहा, जब आतंकवाद का सामना कर रहे गैर मुस्लिमों को जमानत मिलती है तो सरकार चुप्पी साध लेती है, लेकिन समान आरोपों पर मुस्लिमों को जेल में 10 साल काटने पड़ते हैं, क्योंकि उन्हें जमानत नहीं मिलती। यह बहुत बड़ा अन्याय है। ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नमाज और सूर्य नमस्कार के तुलना करने वाले बयान पर कहा कि उन्हें अपनी ड्रामेबाजी बंद करनी चाहिए और लोगों के साथ न्याय करने के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बूचड़खाने बंद होने से राज्य में 15 लाख लोगों की आजीविका खतरे में है। उन्होंने कहा कि जब काला धन रखने वाले करोड़पतियों को क्षमादान दिया जा सकता है तो पीढ़ियों से बूचड़खाने चलाने वालों को कुछ समय क्यों नहीं दिया जा सकता, ताकि वे अपनी आजीविका के बारे में सोच सकें। ओवैसी ने कहा कि देश को भैंस के मास के निर्यात से 36,000 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है और इसमें उत्तर प्रदेश की 11,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। सरकार की निर्यात नीति में भैंस के मांस के निर्यात को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित होनी चाहिए।