नई दिल्ली, लीबिया में आतंकी संगठन आईएसआईएस के चंगुल में दो साल तक यातना झेलने वाले भारतीय डॉक्टर के. राममूर्ति मु्क्त होने के बाद आतंकी संगठन की बर्बरता बतायी है। आईएसआईएस के चंगुल से बचाए गए राममूर्ति ने बताया है कि उन्होंने किस तरह से दो वर्षों तक इस आतंकी संगठन की यातना झेली। आंध्र प्रदेश के रहने वाले राममूर्ति को वापस घर लाने की तैयारी चल रही है। राममूर्ति ने एक साक्षात्कार में कहा कि आतंकी संगठन आईएसआईएस भारत में काफी दिलचस्पी रखता है और चाहता है कि यहां पर उसकी विचारधारा फैले।
उन्होंने बताया कि आतंकी संगठन को भारत के विकास, शिक्षा और अर्थव्यवस्था के बारे में जानकारी है। उन्होंने कहा, आईएसआईएस के युवा लड़ाके पढ़े-लिखे हैं और वे भारत के बारे में, भारत के विकास, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और अन्य चीजों के बारे में जानकारी रखते हैं। उनकी भारत में दिलचस्पी है। उनके चंगुल में रहते हुए मैं यह जान पाया कि वे भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में अपनी विचारधारा को फैलाना चाहते हैं। अपनी यातना को याद करते हुए डॉक्टर ने कहा कि उन्हें गाली दी जाती थी और उनसे अस्पतालों में सर्जरी करने के लिए कहा जाता था।
आतंकी संगठन की क्रूरता के बारे में राममूर्ति ने बताया, आईएसआईएस के लोग इराक, सीरिया, नाइजीरिया और अन्य इलाकों में की गई अपनी हिंसा का वीडियो देखने के लिए बाध्य करते थे। इन हिंसक और क्रूर वीडियो को देखना बेहद मुश्किल था। उन्होंने बताया कि आतंकी उन्हें जबरन ऑपरेशन थियेटर में ले जाते थे। ऑपरेशन थिएटर में उन्हें जबरदस्ती सर्जरी करने के लिए बाध्य किया जाता था। डॉ. राममूर्ति ने बताया कि उन्होंने ना तो कभी किसी आतंकी की सर्जरी की और ना ही कभी किसी को टांके लगाए।
राममूर्ति ने बताया कि जब वह कैंप में काम कर रहे थे तो 10 दिनों के भीतर आईएस आतंकियों ने उन्हें हाथ और पैरों में तीन गोलियां मारी थीं। डॉ. राममूर्ति ने कहा, आईएस आतंकी सोचते थे कि मैं एक डॉक्टर हूं और एक न एक दिन जरूर उनके काम आ जाऊंगा। इसलिए उन्होंने मुझे जिंदा रखा। शायद इसलिए मैं बच भी गया। डॉ. राममूर्ति कोसानाम को करीब 18 महीने पहले लीबिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था। वह आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के एक गांव के रहने वाले हैं।