कानपुर देहात, कानपुर क्षेत्र में 40 दिनों के अंदर दो बड़े ट्रेन हादसे हुए और दो माह के अंदर कई हादसे होते-होते बचे। इसी कड़ी में सोमवार को टूटी पटरी से गुजरने के बाद भी राजधानी प्रभु के भरोसे बच गई। ऐसे में यह सवाल होना लाजिमी है कि आखिर कब तक ट्रेन प्रभु के भरोसे चलेगी। कानपुर देहात के पुखरायां के पास 20 नवम्बर को इंदौर पटना एक्सप्रेस भीषण हादसे का शिकार हो गई। जिसमें डेढ़ सौ यात्री मौत के मुंह में समां गये और दो सौ से अधिक घायल हो गये। इसके बाद यहां से लगभग 40 किलोमीटर दूर रूरा में अजमेर सियालदा एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पलट गये, जिसमें चार डिब्बे बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए और दो तो गहरी नहर में जा गिरे, पर गनीमत रही कि एक भी यात्री की जान नहीं गई। यही नहीं पुखरायां हादसे के एक सप्ताह पहले से आज तक कानपुर क्षेत्र में आठ बार कभी टूटी पटरी से ट्रेन गुजारी गई तो कभी रेलवे की गलती से हादसे होते-होते बचे। वही गलती एक बार फिर रूरा स्टेशन के पास रविवार को देर रात देखने को मिली। जब दिल्ली हावड़ा रूट की अप लाइन की टूटी पटरी से राजधानी गाड़ी को निकाल दिया गया। पटरी टूटने की जानकारी पर रेलवे के हाथ-पाव फूल गये और अप लाइन को तत्काल दुरूस्त किया। पर बार-बार इस तरह की लापरवाही सामने आने पर लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा कि आखिर कब तक रेलवे प्रभु के भरोस ट्रेनो का संचालन करेगा। किदवई नगर के रमेश शुक्ला का कहना है कि कानपुर के पास दो बड़े हादसे के बाद लोगों में रेलवे पर विश्वास उठ गया है। काकादेव के अमरेन्द्र सिंह का कहना है कि कानपुर के आस-पास इस तरह के हादसे व हादसों के मुहाने से निकली ट्रेने इस बात की ओर इशारा है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी जरूर है, प्रभु के भरोसे ट्रेनों का संचालन नहीं होना चाहिए। उजागर हुई कर्मचारियों की लापरवाही पुखरायां व रूरा रेल हादसे की जांच अभी जरूर नहीं आई है पर जिस तरह से दोनो ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई है उससे साफ है कि कर्मचारियों की लापरवाही से ऐसे हादसे हुए पर जब तक जांच रिपोर्ट सामने न आ जाय तो स्पष्ट नहीं कहा जा सकता लेकिन भीमसेन स्टेशन के पास कर्मचारियों ने पटरी पर ड्रिल मशीन छोड़कर लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण दे चुके हैं। यहां भी प्रभु की महिमा रही कि राप्ती सागर सुपरफास्ट में ड्रिल मशीन फंसने के बाद भी चालक की सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया। पेट्रोलिंग से टला बड़ा हादसा 24 घंटे पहले फर्रूखाबाद लाइन में मंधना के पास प्रेट्रोलिंग की समझदारी से बड़ा हादसा होने से बच गया। इसके साथ ही लगभग दो माह के अन्दर कानपुर क्षेत्र में कई बड़े हादसे होते-होते बचे। पुखरायां हादसे की शिकार इंदौर पटना एक्सप्रेस की बात की जाय तो वह अकेले तीन बार टूटी पटरी से गुजरी।