नई दिल्ली, पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल को 30 दिसंबर को भेजी सवालों की लिस्ट में पूछा-
-कितने नोट बंद किए गए।
– ‘नोटबंदी की सिफारिश करते हुए क्या आरबीआई ने बताया था कि इससे देश की 86% नकदी अवैध हो जाएगी? आरबीआई इतनी ही नकदी कब तक व्यवस्था में लौटा पाएगा?’
– ‘किस कानून के तहत लोगों को नकदी निकालने पर सीमा तय की? अगर आप नियम आप न बता सकें, तो क्यों न आप पर मुकदमा चलाया जाए और पावर का मिसयूज करने के लिए पद से हटा दिया जाए?’
– ‘दो महीनों में बार-बार बदलाव क्यों हुए? किस अधिकारी ने उंगली पर स्याही लगाने का विचार दिया? शादी से जुड़े पैसों को निकालने का नोटिफिकेशन किसने तैयार किया? क्या यह सब सरकार ने किया?’
– ‘कितने नोट बंद किए गए और पुरानी करंसी में से कितना वापस जमा किया जा चुका है? जब 8 नवंबर को आरबीआई ने सरकार को नोटबंदी की सलाह दी तो कितने नोटों के वापस लौटने की संभावना थी? ‘
– ‘8 नवंबर की आपात बैठक के लिए आरबीआई बोर्ड सदस्यों को कब नोटिस भेजा? कौन-कौन बैठक में आया? बैठक का ब्योरा क्या है?’
– ‘मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार नोटबंदी का फैसला आरबीआई के बोर्ड ने लिया था। सरकार ने सिर्फ सलाह पर कार्रवाई की। क्या आप सहमत हैं?
– ‘अगर फैसला आरबीआई का ही था, तो यह कब तय किया गया कि नोटबंदी भारत के हित में है?’
– ‘रातों-रात 500 और 1,000 रुपए के नोट बंद करने के पीछे आरबीआई ने क्या कारण पाए?’
– ‘देश में सिर्फ 500 करोड़ रु. की जाली करंसी है। नकदी में बड़े नोटों का हिस्सा 86% था। ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी कि नोटबंदी करनी पड़ी?’
– आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि नोटबंदी की प्रॉसेस जनवरी, 2016 से शुरू हो गई थी। हालांकि उन्होंने पहले कमेटी को दिए लिखित जवाब में कहा था कि नोटबंदी के एलान से पहले सरकार ने 500-1000 के बड़े नोट बंद करने की ‘सलाह’ 7 नवंबर को आरबीआई को दी थी।