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इटावा सफारी में पांचवें शावक ने भी तोड़ा दम

इटावा, उत्तर प्रदेश के इटावा सफारी पार्क में शेरनी सोना के पांचवे शावक ने भी शनिवार रात दम तोड़ दिया। इससे सफारी प्रशासन में खलबली मची हुई। सफारी पार्क में संरक्षित पशुओं की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। इससे पार्क की व्यवस्थाओं पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

इटावा सफारी पार्क की निदेशक श्रीमती दीक्षा भंडारी ने शावक की मौत की पुष्टि करते हुए रविवार को बताया कि 06 जुलाई को बब्बर शेरनी सोना से जन्में शावक की रात लगभग 08 बजे अचानक बुखार, पेट में दर्द एवं सांस लेने में हुई जिसके बाद शावक को दिक्कत हुई । दो घण्टे केअथक प्रयासों के बावजूद रात्रि लगभग 10 बजे शावक ने दम तोड दिया।

छह जुलाई को बब्बर शेरनी सोना ने इस शावक को जन्म देने के बाद मुड़कर भी नहीं देखा था। सफारी पार्क प्रबन्धन ससमय निर्णय लेते हुए शावक को सोना के सैल से अलग कर नियोनेटल केयर यूनिट में देखभाल हेतु रखा गया था जहां सफारी पार्क प्रबन्धन दिन रात एक कर नन्हें शावक की 36 दिन तक उच्चकोटि की देखभाल की गयी।

सफारी पार्क में शेरनी सोना ने छह जुलाई से 10 जुलाई के बीच पांच शावकों को जन्म दिया था। इनमें से चार शावकों की मौत 13 जुलाई तक हो गई थी। छह जुलाई की दोपहर 1:51 बजे पहले जन्मा शावक ही स्वस्थ बचा था। शेरनी के दूध न पिलाने की वजह से उसे नियो नेटल सेंटर में रखा गया था।

यहां चिकित्सकों की निगरानी में शावक को अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार, बोतल से दूध पिलाया जा रहा था। सफारी प्रशासन उसके लगातार स्वस्थ होने का दावा कर रहा था, लेकिन इस बीच ही शनिवार रात पांचवे शावक ने भी दम तोड़ दिया। सफारी निदेशक दीक्षा भंडारी ने बताया कि शावक की मौत हो गई है।

इटावा सफारी पार्क के भालू सफारी में मादा भालू कुनी की 11 अगस्त की रात मृत्यु हो गई थी। उसके शव के पोस्टमार्टम के लिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा भेज दिया गया है।

मादा भालू कुनी 31 जुलाई 2007 को उड़ीसा के जंगलों से लगभग नौ माह की आयु में रेस्क्यू कर नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क, भुवनेश्वर, उड़ीसा से लाई गई थी। यहां से छह मार्च 2017 को नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ लाई गई। तीन अप्रैल 2017 को इटावा सफारी पार्क लाई थी।

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने विधानसभा के मानसून सत्र में शुक्रवार को लायन सफारी की बदहाली का मुद्दा उठाया था। कहा था कि शेरनी सोना के गर्भवती होने की जानकारी सफारी प्रशासन को थी। आईवीआरआई बरेली से भी इसकी रिपोर्ट आ चुकी थी। इसके बाद भी सफारी प्रशासन ने लापरवाही की।