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इस तरह से पहली बार सासंद बनी वीणा देवी

मुजफ्फरपुर  महिला सशक्तिकरण की मिसाल वीणा देवी ने अपने राजनीति सफर के दौरान कई चुनौतियों का सामना करते हुये पहले विधायक और अब पहली बार सत्ता के शीर्ष संसद तक पहुंचने में कामयाब हुयीं।

बिहार के दरभंगा जिले में बहादुरपुर थाना क्षेत्र के अनदामा गांव में श्री उपेन्द्र प्रसाद सिंह और मां सबुजकला देवी के घर जन्मीं वीणा के एक भाई और पांच बहने हैं। वर्ष 1984 में वह मुजफ्फरपुर जिले में पारू थाना क्षेत्र के दाउदपुर गांव निवासी दिनेश प्रसाद सिंह से परिणय सूत्र में बंधीं और पति के साथ ही पिछले दो दशक से सक्रिय राजनीति में हैं। वर्तमान में श्री सिंह विधान पार्षद् हैं।

वीणा देवी का राजनीतिक सफलताओं का ग्राफ धीरे-धीरे परवान चढ़ा। उन्होंने वर्ष 2001 में मुजफ्फपुर जिला परिषद् अध्यक्ष का चुनाव जीता और इसी वर्ष वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गयीं। उन्होंने वर्ष 2005 में लालगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2006 में वह मुजफ्फपुर जिला परिषद् की उपाध्यक्ष बनायी गयीं। वर्ष 2010 में वह राजद से किनारा कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गयी।

गायघाट विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में वीणा देवी ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बनीं। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने गायघाट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन इस बार वह जीत हासिल नही कर सकीं। सतरहवें लोकसभा चुनाव (2019) के आम चुनाव में वीणा देवी को वैशाली लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की टिकट पर चुनाव लड़ने का अवसर मिला। उन्होंने राजद प्रत्याशी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को 234584 मतों के भारी अंतर से पराजित किया और पहली बार सांसद बनने में कामयाब हुईं।