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उत्तराखंड का बना मजाक, २४ घंटे मे दोबारा राष्ट्रपति शासन लागू

supreme-court_650x400_71455372806नई दिल्ली, कोर्ट ने उत्तराखंड का मजाक बना दिया है। उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य में दोबारा राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। कोर्ट ने केंद्र को जल्द से जल्द हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी जमा करने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र को साथ ही निर्देश दिया कि वह इस बीच राष्ट्रपति शासन नहीं हटाएगा।

इससे पहले गुरुवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे और उन्हें 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया था।

केंद्र ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां मामले की सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से अभी के हालात पर सवाल पूछा था। इसके साथ शीर्ष अदालत ने केंद्र से पूछा कि राज्यपाल ने जो संदेश भेजा वह क्या है? राज्यपाल की सिफारिश कहां है? इस पर केंद्र ने कहा कि राज्यपाल की सिफारिश जरूरी नहीं है। राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रति जवाबदेह हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर ये सवाल उठाए :-
नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं है और उसे राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई का अधिकार नहीं है जोकि मंत्रिमंडल की सलाह और तथ्यों पर लिया गया।
हाईकोर्ट कहता है कि भ्रष्टाचार सहा नहीं जाएगा, लेकिन उसने यह आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को राहत दी जिस पर स्टिंग ऑपरेशन में हार्स ट्रेडिंग और घूस के आरोप लगे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के बोम्मई जजमेंट के आधार पर हाईकोर्ट के पास राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के लिए सीमित अधिकार हैं, हाईकोर्ट ने इस मामले में अपने अधिकार से बाहर आदेश दिया है, वह राष्ट्रपति के संतुष्ट होने पर फैसला नहीं कर सकता।
हाईकोर्ट मंत्रीमंडल की राष्ट्रपति शासन लगाने की सलाह की सत्यतता और वैद्यता पर सुनवाई नहीं कर सकता
हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल को आदेश सुनाया लेकिन लिखित आदेश नहीं दिया
हाईकोर्ट ने यह फैसला हरीश रावत के गलत और छुपाए हुए तथ्यों के आधार पर दिया है, जो गलत है
हाईकोर्ट का यह कहना भी गलत है कि बजट बिल पास नहीं होने पर सरकार नहीं गिरती बल्कि सरकार को इस्तीफा देना होता है। कानून के मुताबिक, बजट बिल के फेल होते ही सरकार गिर जाती है।
हाईकोर्ट ने विधायको की खरीद फरोख्त की स्टिंग पर गौर नहीं किया जबकि यह एक बड़ा आधार है।
AG ने कोर्ट में कहा है कि आदेश की कॉपी नहीं होने से अपंग हो गए हैं। ऑर्डर की कॉपी आने के बाद सुनवाई की जाए।
हाईकोर्ट की कॉपी मिलने तक आदेश पर रोक लगाई जाए।

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