नई दिल्ली, महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं के एक समूह ने उत्तर प्रदेश में एंटी-रोमियो दस्ते भंग करने और भगवान कृष्ण से जुड़ी टिप्पणी को लेकर प्रसिद्ध वकील एवं नेता प्रशांत भूषण के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने की मांग की।
22 कार्यकर्ताओं के समूह ने बुधवार को एक संयुक्त बयान में कहा, एंटी-रोमियो दस्ते कानून के दायरे के बाहर काम कर रहे हैं जिससे महिलाओं की आजादी पर खतरा पैदा हो रहा है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा एवं नियमित यौन शोषण के गंभीर मुद्दे से एंटी रोमियो दस्तों का गठन कर निपटा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, ये दस्ते नैतिकता की पहरेदारी के जरिये अपनी खुद के आक्रामक एवं मनमाने नियमों को थोप रहे हैं। यह पहले ही सामने आ चुका है कि कई मामलों में ये समूह महिलाओं एवं पुरूषों के लिए शोषण एवं भय का एक ज्यादा बड़ा स्रोत बन गए हैं।
महिला कार्यकर्ताओं ने सलाह दी कि उत्तर प्रदेश सरकार इस तरह के मामलों से निपटने के लिए तंत्र के विकास की खातिर उन समूहों से परामर्श ले जो लंबे समय से महिलाओं से जुड़े यौन शोषण एवं हिंसा को खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के समूह में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन की सदस्य अरुणा राय, मुस्लिम वीमेंस फोरम की सदस्य सईदा हमीद एवं वकील इंदिरा जयसिंह शामिल हैं। महिला कार्यकर्ताओं ने ट्विटर पर भगवान कृष्ण से जुड़ी टिप्पणी करने को लेकर भूषण के खिलाफ दर्ज की गयी प्राथमिकी वापस लेने की मांग की। बयान में कहा गया कि भूषण के खिलाफ दर्ज की गयी प्राथमिकी साफ साफ ताकत के दुरूपयोग का मामला है क्योंकि सवालों के घेरे में आए ट्वीट के आधार पर इस तरह का कोई अपराध तय नहीं होता।