नई दिल्ली, ओड़िशा में सुंदरगढ़ गांव के टिप्सान टिर्की को 2014 में हाकी इंडिया लीग में खेलने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच खेलने का कोई अनुभव नहीं था लेकिन कलिंगा लांसर्स के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने मौके का पूरा फायदा उठाया। टिर्की को 2013 में जूनियर भारतीय टीम के शिविर के लिये बेंगलुरू बुलाया गया था लेकिन वह राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं बना सके। उन्होंने कहा कि वह मेरे लिए बड़ा मंच था क्योंकि मैंने जूनियर टीम के लिये कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला था। राष्ट्रीय स्तर पर मैच खेलने का मौका मुझे तब मिला जब 2014 में मुझे कलिंगा लांसर्स के लिये चुना गया।
एचआईएल में प्रदर्शन के बाद ही टिर्की सुल्तान जोहोर कप के लिये जूनियर भारतीय टीम में जगह बना सके जिसमें उन्होंने 2014 में पदार्पण किया। उन्होंने कहा कि मुझे विदेशी खिलाडियों से काफी कुछ सीखने को मिला जिनके साथ मैंने अच्छा तालमेल बिठाया। आस्ट्रेलिया के ग्लेन सिम्पसन और मेरे बीच काफी अच्छी दोस्ती हो गई है क्योंकि वह हमेशा ही मुझे सही चीज बताता रहता और खेल के बारे में बताता रहता। इससे मुझे अपने खेल और आत्मविश्वास में सुधार करने में काफी मदद मिली।