निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई क्षेत्र को कृषि के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का दूसरा इंजन बताया और इनकी परिभाषा में संशोधन करते हुये, इनके संयंत्र और मशीनरी में निवेश की अधिकतम सीमा 2.5 गुना और कारोबार की सीमा दो गुना बढ़ा दी है। इस तरह नई परिभाषा में निवेश की अधिकतम सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर 2.5 करोड़ रुपये और कारोबार की सीमा पांच करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये, लघु उद्यमों में निवेश की सीमा 10 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये और कारोबार की सीमा 50 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये तथा मझोले उद्यमों में निवेश की सीमा 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 125 करोड़ रुपये और कारोबार की सीमा 250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दी गयी है।
वर्तमान परिभाषा में, विनिर्माण कार्य में लगी एमएसएमई में निवेश की अधिकतम सीमा क्रमशः 25 लाख रुपये, पांच करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये तथा सेवा क्षेत्र में यह सीमा 10 लाख रुपये, दो करोड़ रुपये और पांच करोड़ रुपये थी।
वित्त मंत्री ने कहा कि इससे एमएसएमई इकाइयों को कारोबार के विस्तार का मौका मिलेगा।
उन्होंने सूक्ष्म उद्यमों के लिये ऋण गारंटी योजना के तहत कवर पांच करोड़ रुपये से बढ़ाकर दस करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है और कहा है कि इससे पांच साल में ऐसी इकाइयों को 1.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त कर सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र अर्थव्यवस्था का दूसरा इंजन है।
वित्त मंत्री ने कहा कि देश में 5.7 करोड़ एमएसएमई इकाइयां है, जिनमें एक करोड़ पंजीकृत इकाइयां हैं। इनमें 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र भारत के विनिर्माण क्षेत्र के कुल उत्पादन में 36 प्रतिशत और निर्यात में 45 प्रतिशत का योगदान करते हुये भारत को विनिर्माण का वैश्विक केन्द्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई की नई परिभाषा में निवेश की सीमा को 2.50 गुना और कारोबार की सीमा में दो गुना बढ़ोत्तरी से इन इकाइयों को पूंजी निवेश बढ़ाने और नयी प्रौद्योगिकी जुटाने में मदद मिलेगी।