नयी दिल्ली, भारत के विश्व प्रसिद्ध विरासत स्थलों पर जाने का इरादा हो या इनके बारे में जानकारी हासिल करने की इच्छा, देश के विभिन्न आईआईटी की मदद से प्रसिद्ध विरासतों के वर्चुअल मॉडल इस काम में आपकी मदद कर सकते हैं। वर्चुअल मॉडल से पर्यटन को नया आयाम मिलने के आसार हैं क्योंकि यह पर्यटकों को आकर्षित करने के साथ ही उन्हें रोचक जानकारी उपलब्ध कराएंगे।
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इस लक्ष्य की शुरूआत कर्नाटक के प्रसिद्ध हम्पी विश्व विरासत स्थल के वर्चुअल मॉडल तैयार करने के साथ हो चुकी है। इस वर्चुअल मॉडल को बनाने की परियोजना में शामिल रहीं एवं महिला वैज्ञानिक एवं उद्यमी डॉ अनुपमा मलिक ने भाषा को बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की पहले एक परियोजना चल रही थी..भारतीय डिजिटल विरासत परियोजना। इसमें दिल्ली, बंबई, मद्रास के आईआईटी सहित बहुत से तकनीकी एवं सांस्कृतिक संस्थान शामिल थे।
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उन्होंने बताया कि इस तरह के वर्चुअल मॉडल देश-विदेश के पयर्टकों को उस स्थल की जानकारी देंगे। इसके जरिये आप विरासत स्थल पर जाने से पहले ही उसके बारे में काफी कुछ जान सकेंगे। उन्होंने बताया कि डीएसटी ने यह कहा था कि कर्नाटक के विश्व विरासत स्थल हम्पी में वर्चुअल माडल बनाने के लिए जिस भी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, उसे बाद में अन्य संरक्षित स्थलों में भी उपयोग में लाया जाएगा।
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परियोजना के तहत इस पूरे स्थल को डिजिटल आधार बनाया जायेगा। फिर उसे आम आदमी तक कैसे पहुंचाया जाये, इसके तरीके तय करने होंगे। इसका प्रस्तुति भी रोचक ढंग से बनायी जानी चाहिए ताकि देश विदेश के पर्यटक इस माडल को देख इस स्थल के प्रति आकर्षित हो सकें।
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उन्होंने बताया कि इस माडल के जरिये आपको इन ऐतिहासिक विरासत स्थलों की रखरखाव, मरम्मत आदि में भी काफी मदद मिलेगी। मान लीजिए ऐसी जगह पर किसी हाथी की प्रतिमा की सूंड टूटी हुई है। इसके बाद अध्ययनकर्ता उस समय की अन्य प्रतिमाओं को देखकर उस टूटी हुई सूंढ़ को डिजिटल आधार पर बना देगा।
उन्होंने कहा कि हम्पी की परियोजना को पूरा होने में चार साल लगे। अनुपमा एवं उनकी एक अन्य सहयोगी दिल्ली आईआईटी की तरफ से उनसे जुड़ी हुई थीं। बाद में उन्होंने अपना एक स्टार्ट अप शुरू किया। अनुपमा ने बताया कि केन्द्र सरकार ने अपने तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर ताज महल, काशी विश्वनाथ एवं कोणार्क मंदिर जैसे विश्व प्रसिद्ध स्थलों के ऐसे ही वर्चुअल माडल बनवाने की मंशा जतायी थी।
अनुपमा ने बताया कि इन विरासत स्थलों के बारे में सांस्कृतिक मंत्रालय से बातचीत चल रही है। यह बातचीत अभी प्रारंभिक स्तर पर है। इसके लिए आईआईटी दिल्ली से प्रस्ताव लिया गया है। आईआईटी दिल्ली बाद में इस काम को आउटसोर्स कर सकता है।