नई दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने ओडिशा के चांदका गज अभयारण्य में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) को कम करने से संबद्ध एक अधिसूचना के खिलाफ याचिका पर केंद्र से प्रतिक्रिया मांगी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल एवं न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की एक पीठ ने याचिका को लेकर पर्यावरण मंत्रालय, राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड, वन एवं पर्यावरण विभाग तथा ओडिशा सरकार को नोटिस जारी किया है।
शहीद कैप्टन आयुष यादव के पिता ने केंद्र सरकार से पूछा-“आखिर कब तक ऐसे ही सैनिक मरवाते रहोगे?
याचिका में दावा किया गया है कि अभयारण्य के आस पास ईएसजेड की अवधारणा से समझौता किया गया, जिससे मानव-पशु संघर्ष की आशंका बढ़ी है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिये मामला 16 अक्तूबर के लिये सूचीबद्ध किया है। याचिकाकर्ता के वकील सारस्वत मोहपात्रा ने कहा है,
जवान ने मांगी दाल-रोटी, मोदी सरकार ने छीन ली रोजी-रोटी
सरकार ने नौ सितंबर 2016 को जारी अपनी अधिसूचना में अपने ही दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र की निचली सीमा का दायरा दो किलोमीटर से घटाकर 500 मीटर करने और उच्च सीमा का दायरा 8.99 किलोमीटर से 7.34 किलोमीटर करने का प्रावधान किया था। सामाजिक कार्यकर्ता तपन कुमार चक्रवर्ती की याचिका में कहा गया कि देश में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान के लिये केंद्र द्वारा गठित विशेषग्य पैनल ने ईएसजेड की आवश्यकता पर दृढ़ता से जोर दिया था।