पटना, कांग्रेस ने वर्ष 2019 में पराजित तीन योद्धाओं पर भरोसा जताते हुये इस बार के चुनाव में उनपर दाव लगाया है और उन्हें चुनावी रण में फिर से उतार दिया है।
इस बार के चुनाव में कांग्रेस को इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया गठबंधन) में सीटों में तालमेल के तहत नौ सीट किशनगंज,कटिहार, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर (सु), सासाराम (सु),पटना साहिब, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और महाराजगंज मिली है। इनमें से तीन सीट कटिहार, सासाराम (सु) और महाराजगंज सीट पर कांग्रेस ने वर्ष 2019 में पराजित राजनेताओं पर भरोसा जताते हुये उन्हें इस बार के चुनाव मैदान में उतारा है।
वर्ष 2019 के चुनाव में कटिहार संसदीय सीट से महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के दिग्गज नेता तारिक अनवर चुनावी समर में उतरे थे, जहां उन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रत्याशी दुलालचंद गोस्वामी ने शिकस्त दी थी। इस बार के चुनाव में भी श्री अनवर की चुनावी टक्कर जदयू प्रत्याशी श्री गोस्वामी से है।
सासाराम (सु) सीट पर वर्ष 2019 में हुये आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के छेदी पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सांसद मीरा कुमार को पराजित किया था। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवार मनोज कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार के चुनाव में जहां मीरा कुमार ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है, वहीं भाजपा ने छेदी पासवान को बेटिकट कर दिया है। भाजपा ने सासाराम (सु) पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुनि लाल के पुत्र अगिआंव विधानसभा के पूर्व विधायक शिवेश राम को चुनावी रणभूमि में उतारा है, जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने सासाराम (सु) सीट पर पराजित बसपा प्रत्याशी मनोज कुमार पर दाव लगाया है।
वर्ष 2019 के चुनाव में पूर्वी चंपारण सीट पर (भाजपा) के कद्दावर नेता एवं केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रत्याशी आकाश कुमार सिंह को पराजित किया था। इस बार आकाश ने अपना रण क्षेत्र के साथ ही पार्टी भी बदल ली है। आकाश इस बार पूर्वी चंपारण की जगह महाराजगंज संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल से होगा।
देखना दिलचस्प होगा कि इन तीन पराजित योद्धाओं पर कांग्रेस का दाव कहां तक सफल हो पाता है, इस बात का पता तो 04 जून को नतीजे के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा।