आज शीर्ष न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति की कोलेजियम प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने कई सुझाव पेश किए गए। कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए सुझावों के साथ ही योग्यता मापदंड, कोलेजियम के लिए एक सचिवालय की स्थापना तथा शिकायत निवारण व्यवस्था की स्थापना के मुद्दों को पेश किया गया। जजों द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए दो दशक पुराने कोलेजियम सिस्टम के स्थान पर लाए गए 99वें संविधान संशोधन अधिनियम और एनजेएसी अधिनियम को रद्द करते हुए 16 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया था कि इसमें अधिक पारदर्शिता और सुधार की जरूरत है। कोर्ट ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी, सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार और वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल द्वारा पेश किए गए सुझावों को सुना जिन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान कोलेजियम सिस्टम के खिलाफ तर्क दिए थे। एनजेएसी अधिनियम के खिलाफ सफलतापूर्वक तर्क पेश करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन , अनिल दीवान , राजीव धवन और अरविंद दतार समेत अन्य पक्षों ने भी अपने सुझाव दिए और कहा कि कोलेजियम सिस्टम के जरिए उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति में व्यापक पारदर्शिता की जरूरत है ।