नई दिल्ली, गरीब तबके के पुरूषों की तुलना में गरीब महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने की आशंका 25 प्रतिशत ज्यादा रहती है। यह दावा एक नए अध्ययन में किया गया है। जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (जीआईजीएच) के शोधकर्ताओं ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उत्तर अमेरिका, यूरोप, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के 2.2 करोड़ लोगों के आंकड़ों की जांच की। इन शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत में हृदय संबंधी बीमारियों का बोझ लगातार बढ़ता रहा है। अध्ययन में कहा गया, कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की महिलाओं को अपने समकक्ष गरीब पुरूषों की तुलना में हृदयाघात का खतरा 25 प्रतिशत अधिक रहता है। जर्नल ऑफ एपीडेमियोलॉजी एंड कम्यूनिटी हैल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में शिक्षा, आय, नौकरी की किस्म और पद आदि के असर पर भी गौर किया गया। ब्रिटेन के जीआईजीएच में अध्येता सैने पीटर्स ने कहा, यह व्यापक तौर पर पता है गरीब पृष्ठभूमि वाले लोगों पर समृद्ध पृष्ठभूमि वाले लोगों की तुलना में हृदयाघात और आघात का खतरा ज्यादा मंडराता है। उन्होंने कहा, हालांकि हमारे अध्ययन में दिखाया गया है कि इस खतरे के संदर्भ में पुरूषों और महिलाओं के बीच भी काफी अंतर है। गरीब तबके की महिलाओं को अपने समकक्ष पुरूषों की तुलना में हृदय संबंधी बीमारियां ज्यादा हैं। यह चिंता का विषय है। ये नतीजे महिलाओं के लिए लैंगिक अंतर को पाटने और संभावित सर्वश्रेष्ठ देखभाल उपलब्ध करवाने की जरूरत है।