नई दिल्ली, संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन आज राज्यसभा की बैठक उस समय 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी जब बसपा के सदस्य भाजपा शासित गुजरात में दलितों के कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठाते हुए आसन के समीप आकर सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे। बसपा प्रमुख मायावती ने शून्यकाल में गुजरात में दलितों को कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वहां मरे जानवर का चमड़ा उतारने वाले लोगों के साथ कुछ दबंग और असामाजिक तत्वों ने मारपीट की। उन्होंने कहा कि दलित सदस्यों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। मायावती ने इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि सरकार ने तभी कार्रवाई की जब यह मामला मीडिया में सामने आया।
बसपा नेता ने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि जब से केंद्र में भाजपा नीत सरकार आयी है, दलितों पर अत्याचार के मामलों में वृद्धि हुयी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने मायावती के आरोपों का प्रतिवाद किया और कहा कि प्रावधानों के अनुसार किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया जाना चाहिए। इसी दौरान बसपा के कुछ सदस्य सरकार विरोधी नारे लगाते हुए आसन के समीप आ गए और सभापित हामिद अंसारी ने बैठक 12 बजकर करीब पांच मिनट पर 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी। एक बार के स्थगन के बाद बैठक फिर शुरू होने पर उच्च सदन में कामकाज सुचारू रूप से शुरू हो गया।