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घुटने का दर्द धीमी न कर दें चाल

neeयुवाओं में घुटनों के दर्द के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सही जांच व उपचार में देरी का नतीजा होता है कि हल्का मांसपेशीय दर्द बढ़ कर घुटने, जांघ व कूल्हे की मूवमेंट पर असर डालने लगता है। सही उपचार व व्यायाम तकनीकों के बारे में बता रहे हैं हम… तीस की उम्र के करीब की एक स्कूल टीचर हैं। घर और काम के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हुई वह बेहद व्यस्त रहती हैं। वह जानती हैं कि सेहतमंद और फिट रहना उनके लिए कितना जरूरी है, बावजूद इसके व्यायाम के लिए समय निकालना उनके लिए मुश्किल होता है। व्यायाम की भरपाई के तौर पर उन्होंने कुछ समय पहले खुद को अधिक सक्रिय बनाए रखने का फैसला किया, जिसके चलते वह लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करने लगीं और रिक्शा की जगह पैदल घर व बाजार जाने लगीं। वह तीसरी मंजिल पर रहती हैं। शुरुआत में सीढ़ियां चढ़ने में थकान होती थी, पर आदत हो जाने के बाद अब समस्या नहीं होती। लेकिन एक माह बाद ही उन्हें सीढ़ियां उतरते हुए सीधे पैर के घुटने में सामने के हिस्से में कुछ परेशानी महसूस होने लगी, पर उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। करीब एक सप्ताह गुजरने के बाद यह परेशानी हल्के दर्द में बदल गई। धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़ते हुए भी पैरों में दर्द होने लगा। डॉक्टर ने इसे घुटने के सामने वाले हिस्से का दर्द बताया, जिसे चिकित्सकीय भाषा में पेटेलोफीमोरल पेन सिंड्रोम/एंटीरियर नी पेन या फिर कॉन्ड्रोमेलेसिया पटेला कहते हैं। डॉक्टर ने उन्हें कुछ दर्द निवारक दवाएं लेने को कहा है। साथ ही सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से बचने की सलाह दी है। दर्द दोबारा न हो, इसलिए मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह भी दी है। दर्द का कारण जांघ की हड्डी को फीमर, जोड़ की मुख्य बड़ी हड्डी को टिबिया और नी कैप को पटेला कहते हैं। जांघ की हड्डी और नी कैप से मिल कर जो जोड़ बनता है, उसे पेटेलोफीमोरल जॉइंट कहते हैं। लगभग 20 फीसदी मरीज पेटेलोफीमोरल पेन सिंड्रोम (पीएफपीएस) के शिकार होते हैं।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह समस्या अधिक होती है। यह दर्द नी कैप और जांघ की हड्डी के बीच अधिक घर्षण होने के कारण होता है। इस वजह से पंजे की एड़ियों का पिछला हिस्सा, टखना, कूल्हे का ऊपरी हिस्सा, पेड़ू और पैरों के मध्य में दर्द बढ़ जाता है।पीएफपीएस के अधिक होने का मुख्य कारण पैर की मांसपेशियांे का प्रभावित होना है। ये मांसपेशियां एक तरह से हमारे शरीर का इंजन रूम होती हैं, जिनकी सक्रियता के कारण ही हमारी सक्रियता बनी रहती है। चलने से लेकर दौड़ने जैसी हर गतिविधि इन्हीं मांसपेशियों के कारण होती है। जब ये मांसपेशियां ढंग से काम नहीं करतीं तो घुटनों पर दबाव पड़ने लगता है। जांघ के बाहरी और सामने वाले हिस्से की मांसपेशियों पर काफी वजन पड़ता है, जिससे कई बार ये मांसपेशियां चोटिल हो जाती हैं व उनमें खिंचाव आ जाता है। उनका लचीलापन भी कम होने लगता है। मांसपेशियों में अकड़न बढ़ने से दर्द बढ़ने लगता है और मांसपेशियों की कार्यकुशलता कम होने लगती है। घुटने के जोड़ में दर्द भी होता है। आमतौर पर जांघ के भीतरी हिस्से की मांसपेशियों की तुलना में बाहरी मांसपेशियां अधिक कड़ी हो जाती हैं। इस असंतुलन के कारण नी कैप बाहर की ओर उठने लगती है और चलते समय जांघ वाली हड्डी से टकराती है। इसी वजह से नी कैप और जांघ की हड्डी के बीच सूजन और दर्द बढ़ जाता है। उपचार का तरीका फिजियोथेरेपिस्ट दर्द में आराम देने के लिए एक्यूपे्रशर या क्रॉस फ्रिक्शन मसाज तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें दर्द वाले हिस्से पर थोड़ा जोर देकर प्रेशर दिया जाता है। इसके अलावा मालिश से भी काफी आराम मिलता है। नियमित मालिश से मांसपेशियों की अकड़न वाले हिस्से में लचीलापन आ जाता है। कुछ आराम आने पर मांसपेशियों में मजबूती लाने के लिए स्ट्रेचिंग कराई जाती है। अपने डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट से आप घर में किए जाने वाले व्यायाम से राहत पा सकते हैं। आमतौर पर आराम आने में 12 से 16 सप्ताह का समय लग जाता है। घर में व्यायाम, डॉक्टर द्वारा की गयी सही जांच और फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा अपनाई गयी विभिन्न तकनीक और मसाज कूल्हे और टखने के लचीलेपन को बढ़ा देते हैं।

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