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चिदंबरम ने गृहमंत्री रहने के दौरान दोबारा एफिडेविट तैयार करवाया-इशरत जहां एनकाउंटर केस

ishrat-650x425_030116075051नई दिल्ली, पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई ने पिल्लई ने कहा कि चिदंबरम ने गृहमंत्री रहने के दौरान इशरत केस में मुझे बायपास कर मन मुताबिक दोबारा एफिडेविट तैयार करवाया. फिर इसे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया.पिल्लई ने एक न्यूज चैनल पर कहा कि साल 2009 में चिदंबरम ने आईबी के मेरे जूनियर अधिकारियों को बुलवाकर एफिडेविट को पूरी तरह से दोबारा लिखवाया. अब वह खुद बोलकर इसे लिखवा रहे थे तो कोई भी कुछ नहीं बोल सका. पिल्लई ने कहा कि इन बातों के लिए चिदंबरम को गृह सचिव या आईबी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए.इसके कुछ दिन पहले भी पिल्लई ने कहा था कि इशरत जहां एनकाउंटर केस के एफिडेविट को रजनीतिक कारणों से बदल दिया गया था. इसके बाद भाजपा ने  चिदंबरम पर गृहमंत्री रहते हुए कांग्रेस के मुताबिक एफिडेविट बदलने, नरेंद्र मोदी और गुजरात सरकार पर निशाना साधने, बीजेपी से राजनीतिक बदला लेने और राजनीकिर लाभ के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया था.बीजेपी ने कहा था कि इशरत को बेगुनाह और गुजरात पुलिस को फर्जी एनकाउंटर का आरोपी घोषित करना कांग्रेस का स्टैंड था. चिदंबरम ने इसको सही साबित करने के लिए पद का दुरुपयोग किया और एफिडेविट में मनमुताबिक बदलाव किया.

इस बीच पिल्लई के बाद गृह सचिव बने आर को सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की कि इशरत जहां एनकाउंटर केस में एफिडेविट को बदला गया था. इसमें पहले दर्ज था कि एनकाउंटर में मारी गई इशरत और उसके तीन साथी लश्कर ए तैयबा से जुड़े आतंकी थे. बाद में यह तथ्य गायब हो गया. बीजेपी सांसद सिंह ने कहा कि आईबी के कहने के बावजूद यह बदलाव राजनीतिक वजहों से ही किए गए थे.इस बीच एक अंग्रेजी अखबार से होम के पूर्व अंडर सेक्रेटरी (आंतरिक सुरक्षा) कहा आरवीएस मणि ने कहा कि दूसरे एफिडेविट पर उससे जबरदस्ती साइन करवाए गए थे. इसके लिए उनपर सीबीआई की ओर से दबाव था. मणि ने 2013 में भी आरोप लगाया था कि एफिडेविट पर साइन करने के लिए उनपर सीबीआई का दबाव था.

चिदंबरम पर हमलावर हुए पिल्लई ने साफ-साफ कहा कि चिदंबरम को मान लेना चाहिए कि एफिटेविट को बदलने का फैसला सिर्फ उनका था. इसके लिए आईबी या गृह सचिव की कोई मंशा नहीं थी. सोमवार को चिदंबरम ने इसे कबूल तो किया था कि एफिडेविट में उन्होंने बदलाव किया था. उन्होंने कहा था कि उन्होंने सही बदलाव किए थे और इसमें पिल्लई की भी बराबर की भूमिका थी.

19 साल की इशरत जहां और उसके तीन साथियों को साल 2004 में अहमदाबाद के पास  गुजरात पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार दिया था. पुलिस के मुताबिक कि ये सभी लश्कर ए तैयबा से जुड़े आतंकी थे. वे सभी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश पर अमल करने के लिए वहां आए थे.

 

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