नई दिल्ली, तमिलनाडु में किसानों की आत्महत्या के मामले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर तक के लिए टाल दी है। पिछले सात जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये सरकारों की जिम्मेदारी है कि देश में कोई किसान खुदकुशी न करे। कृषि संकट से निपटने के लिए सरकारों का पूरक रवैया होना चाहिए न कि निवारक।
वित्तीय संस्थानों को किसानों की फसल चौपट होने पर उनसे लोन की रिकवरी करते समय कड़ाई से पेश नहीं आना चाहिए। वित्तीय संस्थाएं बिचौलियों की मदद नहीं लें। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि लोन के डिफाल्ट होने की स्थिति में कड़ाई करने पर क्या गरीब किसानों को सरकार के पास जाने का मेकानिज्म बन सकता है।
सुनवाई के दौरान किसानों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से फसल बीमा योजना के बारे में कहा था कि हम बीमा के बिजनेस को नहीं जानते हैं। आपकी नीतियां कॉमन सेंस और बुद्धिमानी पर आधारित होनी चाहिए न कि प्रीमियम पर। तमिलनाडु के किसानों की तरफ से कहा गया कि किसान तब आत्महत्या करते हैं जब बैंकों के कड़े कदम की वजह से उनकी गरिमा को ठेस पहुंचती है।