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जानिए क्यों मनाया जाता है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी, मुस्लिम समाज में क्या है महत्त्व

आज पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्मदिवस है। इस दिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या ईद-ए-मिलाद के तौर पर मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक इस्लाम के तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571ईं. के दिन ही इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर का जन्म हुआ था। जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2018 में 21 नवंबर को है। उनकी जन्म की खुशी में मुस्लिम मस्जिदों में नमाज़ें अदा करते हैं। रातभर मोहम्मद को याद कर प्रार्थनाएं कर जुलूस निकालते हैं, मजलिसे निकालते हैं।

पैगंबर हजरत मोहम्मद इस्लाम के आखिरी संदेशवाहक थे और इस्लाम में उनका मर्तबा सबसे बड़ा है। मुसलमान समाज में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के लिए परम आदर का भाव हैं। पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने लोगों के बीच इस्लाम धर्म का प्रचार किया। दुनिया में रहमत व शांति के लिए वे दुनिया में आए। ऐसा माना जाता की पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को उस वक्त इस दुनिया में भेजा गया था जब बुराई आम बात हो गई थी। उन्होंने हमेशा शांति व सामुदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने का पैगाम दिया।

हजरत मोहम्मद साहब ने बेहद तकलीफों का सामना कर इस्लाम धर्म का प्रचार किया। दुश्मनों के जुल्मो-सितम को सहन करना पड़ा। मोहम्मद साहब ने बुराइयों का खात्मा कर ईमान, अमन और शांति का पैगाम दिया। उन्होंने पाक ग्रंथ कुरआन मजीद की रौशनी में लोगों को नेक राह पर चलने की हिदायत दी। उन्होंने अल्लाह की इबादत पर जोर दिया, लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए साथ ही आपने लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाएं। कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म इस्लाम कैलेंडर के अनुसार, रबि-उल-अव्वल माह के 12वें दिन 570 ई. को मक्का में हुआ था और कुरान के अनुसार, ईद-ए-मिलाद को मौलिद मावलिद के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है पैगंबर का जन्म दिवस।

सुन्नी समुदाय के लोग पैगंबर हजरत मुहम्मद के जन्म की खुशी में इस दिन का जश्न बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। उनका मानना है कि इस दिन पैगंबर की शिक्षा को सुनने से जन्नत के द्वार खुलते हैं। इसलिए इस दिन सुबह से लेकर रात भर सभाएं की जाती हैं और उनके द्वारा दी गई शिक्षा को सुना व समझा जाता है। उधर, शिया समुदाय का इस पर्व को लेकर कुछ अलग ही मत है। इस समुदाय के अधिकांश लोगों का यह मानना है कि ये उनकी मौत का दिन है जिसके कारण वो पूरे महीने शोक मनाते हैं और ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन को वे मातम के तौर पर मनाते हैं। कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद ऐसे आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी हैं, जिन्हें खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल द्वारा कुरान का संदेश दिया था। यही वजह है कि मुस्लिम इनके लिए हमेशा से ही आदर का भाव रखते हैं।

इस दिन पैगंबर मोहम्मद के प्रतीकात्मक पैरों के निशान पर प्रार्थना की जाती है। उनकी याद में इस दिन बड़े-बड़े जुलूस निकाले जाते हैं और दिन रात प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं। इस्लाम के सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान को भी इस दिन पढ़ा जाता है। लोग मक्का-मदीना और दरगाहों पर जाकर इबादत करते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से लोग अल्लाह के करीब जाते हैं और उन पर अल्लाह रहम फरमाते हैं। देश और विदेश में ईद मिलाद उन नबी त्योहार की आज धूम मची हुई है। इस मौके पर देश के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी ट्विटर पर ट्विट कर के देश वासियों को बधाई दी है। वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने भी ट्विटर पर ट्विट करके देश वासियों को ईद मिलाद उन नबी त्योहार की बधाई दी है। महामहिम ने इस पर्व के लिए इंग्लिश भाषा में भी मुस्लिम भाइयों के लिए बधाई दी है।