नयी दिल्ली, टेलीविजन पर गंभीर रोगों में परंपरागत दवाओं से राहत का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को दिखाने पर रोक लगाने की सिफारिश संसद की एक समिति ने की है और संबंधित कानून में संशोधन कर अपराधियों को दंडित करने का भी सुझाव दिया है।
रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘समिति सिफारिश करती है कि मंत्रालय को कथित कानून और उसके अधीन नियमों के संशोधन के मामले को जोरदार तरीके से देखना चाहिए।’’ समिति के मुताबिक, ‘‘समिति ने यह सिफारिश भी की है कि दवा और जादुई उपचार कानून को धारदार बनाने के साथ ही इस तरह के चलन को प्रतिबंधित करने और अपराधियों को दंडित करने के लिए संबंधित नियमों में एक प्रावधान भी जोड़ा जाना चाहिए।’’ यह कानून भारत में दवाओं के विज्ञापनों को नियंत्रित करता है। यह जादुई गुण का दावा करने वाले दवाओं और चिकित्सा के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है। समिति ने कहा कि कथित कानून और नियमों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है ।
समिति ने अपनी शुरूआती रिपोटोर्ं में कहा था कि वह टीवी, रेडियो और प्रिंट मीडिया में आयुष चिकित्साओं से संबंधित भ्रामक विज्ञापनों पर टिप्पणी करती रही है और उसने मंत्रालय से जरूरी कदम उठाने को कहा है।