तिरुपति, अर्थव्यवस्था में नाेबल पुरस्कार से सम्मानित विद्वान जीन तिरोल ने आज चेतावनी दी कि यदि अंतरराष्ट्रीय मानकों का समुचित पालन किए बगैर डिजिटल अर्थव्यवस्था को लागू किया गया तो इससे केवल एक देश ही नहीं, बल्कि अनेक देशों में व्यापक पैमाने पर अार्थिक असमानता पैदा होगी।
तिरोल ने आज यहां 104वीं कांग्रेस के दूसरे दिन अपने संबाेधन में कहा कि इस बात को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बढ़ते डिजिटल प्रसार के कारण केवल समाज के एक ही वर्ग के पास संपदा एकत्रित नहीं होने पाए। उन्होंने भारत को विशेष रूप से चेतावनी दी है कि वह सावधानी बरतते हुए तथा सही नीति बनाकर ही डिजिटाइजेशन प्रकिया को अपनाए।
उन्हाेंनेे इस बात को भी स्वीकार किया कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं है और आंकड़ों के आदान प्रदान तथा उपलब्धता से विक्रेताओं को अपने ग्राहकों को समझने में काफी आसानी होगी तथा वे धीरे.धीरे इस मंच का सहारा लेकर अन्य क्षेत्रों में भी पर्दापण कर सकेंगें। उन्होंने इस दिशा में अमेजन कंपनी का उदाहरण दिया जिसने शुरू में इंटरनेट पर पुस्तकें बेचने से शुरूआत की थी और बाद में अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहुंच बना ली है।
प्राेफेसर तिरोल ने कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में अनेक संभावनाएं है लेकिन इससे अनेक सामाजिक एवं आर्थिक चुनौतियां पैदा हो सकती है और सरकार को उपयुक्त कानूनी प्रावधानों के तहत ही सावधानीपूर्वक इसे लागू करना चाहिए। इसके अलावा राजकाेषीय, कराधान अौर कानूनी मुद्दों जैसे अनेक मामले सामने आएंगे जिन पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत विचार किए जाने की अावश्यकता है। उन्होंंने कहा कि किसी भी तकनीक को आत्मसात नहीं करना बहुत ही बुरी आदत है मगर डिजिटाइजेशन से आर्थिक असमानता बढ़ेगी।
उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि ऐसी किसी भी अर्थव्यवस्था में काफी बडे पैमाने पर रोजगारों में कमी आएगी क्योंकि रोबोटिक्स एवं इलेक्ट्रानिक्स अाधारित तकनीक के कारण मजदूूूूरों की अधिक जरूरत नहीं पड़ती हैे। यूरोप तथा अमेरिका इसके ज्वलंत उदाहरण है।