गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ज्ञानवान और शीलवान बनने के साथ विज्ञान-तकनीकी के अनुकूल होकर समय के प्रवाह की गति को समझना अपरिहार्य है और यदि हम समय के प्रवाह की गति को समझने में चूक गए तो समय का यह प्रवाह दुर्गति कर देगा।
मुख्यमंत्री योगी रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के तीन दिवसीय 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन दिवस पर एक विशेष सत्र को संबोधित करते हुए दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर परिसर में आयोजित अधिवेशन में कहा कि कि समय के प्रवाह की दुर्गति से बचने के लिए जरूरी है कि हम विज्ञान और तकनीकी से भागें नहीं बल्कि इसके सापेक्ष खुद को तैयार करें। उन्होंने कहा कि काल का प्रवाह किसी का इंतजार नहीं करता है। किसी की भी परवाह किए बगैर कालचक्र चलता रहता हैइसलिए यह आवश्यक है कि हम विज्ञान तकनीकी से भागेंगे तो समय के साथ नहीं चल पाएंगे।
मुख्यमंत्री ने नब्बे के दशक में कम्प्यूटरीकरण को लेकर हुए विरोध का जिक्र करते हुए कहा कि तब कम्प्यूटरीकरण का विरोध हो रहा था और आज उससे भी आगे ई ऑफिस का दौर आ गया। पूरी दुनिया एक स्मार्टफोन में आ चुकी है। समय के साथ टेक्नोलॉजी बढ़ती गई। बिजली, टेलीफोन, टेलीविजन, हवाईहाज, माइक्रोवेव, इंटरनेट ,जीपीएस, सोशल मीडिया जैसी तकनीकी विरोध झेलकर आगे बढ़ती गई। इनमें से एक भी तकनीकी ऐसी नहीं है जो आज दैनिक जीवन का हिस्सा न हो।
मुख्यमंत्री ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सूत्र वाक्य ज्ञान, शील, एकता का उल्लेख करते हुए कहा कि ज्ञानवान बनने के लिए दुनिया में भारत से बड़ा आग्रही कोई और देश नहीं है। गीता में भी कहा गया है “ हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते ” अर्थात ज्ञान के समान पवित्र करनेवालाए शुद्ध करनेवाला इस लोकमें दूसरा कोई नहीं है। ज्ञानवान होने के लिए यहां ज्ञानवाहक ऋषि परंपरा का सम्मान रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज और राष्ट्र के प्रति कल्याणकारी सोच का युवा विज्ञान और तकनीकी से जुड़ेगा तो स्वयं को समाज और राष्ट्र को मजबूत बनाएगा। उन्होंने युवाओं को मंत्र दिया कि हमें तामसिकमानसिकता का शिकार नहीं बनना है लेकिन खुद की प्रासंगिकता को बनाए रखते हुए तकनीकी से जुड़करआगे बढ़ते रहना है।
उन्होंने कहा कि तकनीकी जब अच्छे लोगों के हाथ में होती है तब वह लोक और राष्ट्रकल्याण का माध्यम बनती है परए जब तकनीकी नकारात्मक लोगों के हाथ में जाएगी तो आतंकवाद और विध्वंसात्मक ताकतों को बढ़ावा मिलेगा।