जयपुर, राजस्थान में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के मद्देनजर पटाखों पर रोक होने के कारण दशहरा पर्व पर भले ही आतिशबाजी नहीं होगी लेकिन परम्परागत रावण दहन के लिए राजधानी जयपुर के विभिन्न स्थानों पर छोटे बड़े करीब चौदह हजार रावण एवं उनके परिवार के पुतले तैयार किये जा रहे हैं।
जयपुर के न्यू सांगानेर रोड़ पर स्थित रावण मंडी में दो-ढाई फुट से लेकर सबसे अधिक लम्बे 110 फुट तक विभिन्न प्रकार के रावण के पुतले तैयार किये जा रहे हैं। इनमें अधिकांश पुतलों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। इसी तरह अन्य जगहों पर भी रावण के पुतले तैयार किये जा रहे हैं।
रावण मंडी में रावण के पुतले बनाने में जुटे जोगी समाज के जगदीश जोगी ने बताया कि इस बार दशहरा पर रावण दहन के लिए उनके समाज के द्वारा जयपुर में विभिन्न जगहों पर लगभग चौदह हजार रावण एवं उसके परिवार के पुतले बनाये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस बार दो-ढाई हजार पुतले हर बार की तुलना में ज्यादा बनाने का लक्ष्य लिया गया हैं और लोगों में काफी उत्साह भी नजर आ रहा है। इस बार लोगों के पहले ही अपनी मांग रख देने से ज्यादा पुतले तैयार किये गये हैं।
उन्होंने बताया इस बार बड़े पुतले ज्यादात्तर लोगों की मांग के अनुसार ही तैयार किए गए हैं और जयपुर के अलावा अन्य जगहों से भी बड़े रावण के पुतलों की मांग आई हैं। उन्होंने बताया कि हनुमानगढ़ से 71 फुट ऊंचे रावण एवं जैसलमेर के भाटियों की ढ़ाणी के लिए 51 फुट ऊंचे रावण की मांग मिली और वहां ये पुतले भेजे जा रहे हैं। इसी तरह दौसा, जयपुर के आमेर एवं चौमू से भी कई पुतलों की मांग आई हैं।
उन्होंने बताया कि ज्यादा महंगे पुतलों की मांग नहीं होने के कारण ।50-200 से लेकर विभिन्न दर के पुतले तैयार किये गये हैं। उनमें सबसे लम्बा 110 फुट का पुतला तैयार किया गया हैं। हालांकि अभी इसके ग्राहक का इंतजार हैं लेकिन इसके करीब 80-90 हजार रुपए तक मिलने की उम्मीद हैं।
उन्होंने बताया कि घुमंतु एवं अर्द्ध घुमंतु, विमुक्त जाति परिषद के उपाध्यक्ष श्री जोगी ने बताया कि उनकी इस संस्था के बैनर तले समाज की विभिन्न मांगों को लेकर की गई गत दो से सात अक्टूबर तक भूख हड़ताल के कारण भी वे इस बार पुतले तैयार करने में पीछे रह गये और अब दशहरा के नजदीक आ जाने से उन पर पुतले तैयार करने का दबाव बढ़ गया हैं और उनके लोग रात दिन एक करके पुतले तैयार करने में जुटे हुए हैं। इसका उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि जयपुर में रावण मंडी के अलावा बी टू बाईपास, तारा की खूंट, चौमू पुलिया, अंबा बाड़ी, गुर्जर की थड़ी, पुरानी चुंगी, खातीपुरा, झोंटवाड़ा, गंगा जमुना पेट्रोल पंप, भाखरोटा एवं चौमू में उनके समाज के लोगों द्वारा रावण के पुतले तैयार किये जा रहे हैं।
श्री जोगी ने बताया कि अखबार, मेदा, बांस, लोहे के तार सहित हर वस्तु की कीमत बढ़ने के कारण उन्हें पुतले तैयार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। लेकिन इस बार लोगों के उत्साह के मद्देनजर उन्हें काफी उम्मीद हैं और दशहरे के दो दिन पहले से पुतलों की खूब बिक्री होने की संभावना हैं। उन्होंने बताया कि पुतलों में किसी प्रकार के पटाखों का प्रयोग नहीं किया गया हैं और उन्हें आकर्षक बनाने के लिए उनके चेहरों को अलग अलग रुप दिया गया हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार से पटाखों पर रोक हटाने की मांंग भी की गई हैं ताकि दशहरा पर आतिशबाजी के साथ रावण दहन होने से रौनक बन सके। उन्होंने कहा कि हर बार इस पर्व पर उनके समाज के लोग हजारों पुतले तैयार करते हैं और इस दौरान महंगाई और ऊपर से कई बार बारिश होने से उनके पुतले खराब हो जाने से उनको काफी नुकसान उठाना पड़ता हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि वे गरीब लोग हैं और सरकार को ऐसे मौके पर उनकी मदद के लिए सहायता मुहैया कराई जानी चाहिए ताकि परम्परागत पर्व पर तैयार किये जाने वाले पुतलों को और आकर्षक बना सके। इससे लोग इस ओर अधिक आकर्षित होने पर धार्मिक परम्परा को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि इस बार कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर आतिशबाजी पर रोक होने के कारण जयपुर में कई जगहों पर दशहरा पर्व पर होने वाली आतिशबाजी एवं भीड़ वाले बड़े आयोजन नहीं हो सकेंगे।