नई दिल्ली, उड़ी हमले के बाद पैदा हुए हालात और राजधानी दिल्ली में आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए दिल्ली पुलिस वीआईपी सुरक्षा की समीक्षा करने में जुटी है। समीक्षा के तहत यह देखा जा रहा है कि सुरक्षा में कहीं कोई कमी या चूक तो नहीं है? इसके लिए मॉक ड्रिल का सहारा लिया जा रहा है और साथ ही पुलिस अधिकारियों को नियमित तौर पर ब्रीफ किया जा रहा है।
एक सीनियर पुलिस अफसर ने बताया, फिलहाल, हमने जेड प्लस और जेड कैटिगरी सुरक्षा पाने वालों का सिक्यॉरिटी ऑडिट पूरा कर लिया है। वाई और एक्स कैटिगरी की सुरक्षा पाने वालों का सिक्यॉरिटी ऑडिट भी शुरू कर दिया गया है और इसे अगले सप्ताह तक पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि खतरे के हिसाब से सुरक्षा को चार कैटिगरी में बांटा गया हैः जेड प्लस (सबसे ऊंची), जेड, वाई और एक्स। सुरक्षा पाने वालों में राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज और सशस्त्र सेनाओं के चीफ शामिल हैं। सीनियर अधिकारियों के मुताबिक सिक्यॉरिटी ऑडिट आम तौर पर 15 अगस्त और 26 जनवरी से पहले किया जाता है पर उड़ी हमले और त्योहारों के सीजन की वजह से यह तय किया गया कि सुरक्षा की समीक्षा की जाए।
एक सीनियर अधिकारी ने बताया, सिक्यॉरिटी विंग के सभी अधिकारियों के लिए जरूरी है कि वे हर वक्त अलर्ट रहें। वे वक्त-वक्त पर ड्रिल करते रहते हैं पर इस तरह के समय में ड्रिल की संख्या और तीव्रता बढ़ जाती है। हालात के हिसाब से फायरिंग की प्रैक्टिस और आतंकवादियों के संभावित हमले से जुड़ी जानकारी की ब्रीफिंग, ऑडिट का अहस हिस्सा होती हैं। अधिकारी ने बताया, हम यह परखते हैं कि अगर हमला हुआ तो रियल-टाइम सिचुएशन के हिसाब से अफसर स्थिति को संभाल पाएंगे या नहीं। डमी टारगेट पर तो कोई भी फायरिंग कर सकता है पर जरूरी यह है कि उन्हें असली टारगेट पर शूट करने की ट्र्निंग भी दी जाए। हम ऐसे हालात पैदा करते हैं जहां चार सशस्त्र लोग हमले के लिए आ रहे हैं और हम देखते हैं कि सुरक्षा अधिकारी का रिस्पॉन्स टाइम कितना है। अधिकारी ने कहा, अफसरों के लिए खतरे के पर्सेप्शन और हमले के संभावित तरीकों को समझना जरूरी है। उड़ी हमले के बाद हम अपने अफसरों को लगातार इस बारे में ब्रीफ कर रहे हैं कि आतंकवादी किन तरीकों से हमला कर सकते हैं और आपातकालीन स्थिति में उन्हें किस तरह से रिस्पॉन्स करना है।