नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में आज राज्यमंत्री के रूप में शामिल हुए वीरेन्द्र कुमार 63 मध्यप्रदेश की टीकमगढ़ एससी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और प्रदेश में भाजपा का दलित चेहरा हैं। सफेद कुर्ता-पायजामा पहनने वाले वीरेन्द्र कुमार आज भी स्कूटर से अपने लोकसभा क्षेत्र में लोगों को मिलने जाते हैं। उनकी यही सादगी उनकी पहचान बन गयी है। कई कार्यक्रमों में वह स्कूटर से ही पहुंचते हैं।
बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे वीरेन्द्र कुमार टीकमगढ़ से लगातार छठी बार लोकसभा के लिए चुने गये हैं। वीरेन्द्र कुमार ने 1970 में जेपी आंदोलन में बेहद सक्रिय भूमिका निभाई थी। आपातकाल में मीसा के तहत वह 16 माह जेल में रहे। छात्रों के समक्ष पेश आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने अभियान चलाया और उनकी सहायता के लिए एक लाइब्रेरी भी खोली। कुमार गायों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश के सागर शहर में बनाये गये गौसेवा संघ से जुड़े हैं और इसके सफल प्रबंधन के लिए उन्होंने सक्रिय भूमिका भी निभाई है। उनका जन्म 27 फरवरी 1954 में सागर में हुआ था।
सागर संसदीय सीट से 1996 में 11वीं लोकसभा का चुनाव उन्होंने पहली बार जीता था। उसके बाद 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा में क्रमशः वर्ष 1998, 1999 एवं 2004 में उन्होंने सागर का प्रतिनिधित्व किया। लोकसभा सीट के नए परिसीमन के बाद वह 15 वीं लोकसभा में वर्ष 2009 में टीकमगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे और अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। इसके बाद वर्ष 2014 में भी वह दोबारा टीकमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने।
कुमार से एक करीबी ने बताया, जब वीरेन्द्र कुमार जी दिल्ली से टीकमगढ़ आते हैं तो वह रेलवे स्टेशन पर टेन से उतरने के बाद आमजन की तरह आटोरिक्शा से अपने घर जाते हैं। सांसद बनने से पहले वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, वि हिन्दू परिषद और भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अर्थशास्त्र में एमए और फिर बाल श्रम पर एमफिल करने वाले वीरेन्द्र अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने इस समुदाय के उत्थान में अपना पूरा ध्यान लगाया है।
वह युवाओं को जाति और श्रेणी की बेडियों को तोड़ने जैसे सामाजिक कार्यों में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा अनाथालय खोलने, दिव्यांगों के लिए स्कूल और वृद्धाश्रमों के निर्माण जैसे लोकसेवा के कार्यों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। वह वर्ष 1982 में सक्रिय रूप से राजनीति में शामिल हुए। संसद सदस्य रहते उन्हें श्रम एवं कल्याण संसदीय समिति, अनुसूचित जाति एवं जन जाति कल्याण, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस संसदीय समिति का सदस्य नियुक्त किया गया। वर्तमान में वह श्रम पर संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष हैं।