नई दिल्ली, केंद्र सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले का असर आभूषण उद्योग पर भी साफ तौर पर देखने को मिला है। सरकार के इस फैसले से आभूषण उद्योग की मांग में करीब 80 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अब इस क्षेत्र की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार देखा जा रहा है, हालांकि इसे सामान्य होने में अब भी एक वर्ष से अधिक का समय लग सकता है। अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण व्यापार महासंघ के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने बताया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 8 नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद बाजार में नकदी की कमी हो गई और आभूषणों की मांग में लगभग 80 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी।
हालांकि, 31 दिसंबर के बाद से देश में स्थिति सुधरने लगी है और साथ ही मांग में 30 से 40 फीसदी का सुधार हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के 50 दिनों के दौरान शादियों का सीजन भी रहा था, इसमें आभूषणों की रीसाइक्लिंग तीन गुना बढ़ गई। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लंबे समय में यह कदम लोगों को प्लास्टिक मनी के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करेगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, जो उद्योग के लिए अच्छा होगा। नितिन खंडेलवाल का कहना है कि स्थिति को सामान्य होने में एक वर्ष से अधिक का समय लगेगा।
रत्न आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद के चेयरमैन प्रवीणशंकर पांड्या ने कहा कि निर्यात आधारित विनिर्माण का 60 फीसदी संगठित क्षेत्र में और 40 फीसदी असंठित क्षेत्र में है। उन्होंने कहा कि इस 40 फीसदी असंठित क्षेत्र के लिए हमें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन क्षेत्रों के कर्मचारी गांवों और क्लस्टरों में हैं जहां बैंक नहीं हैं। ऐसे में हम उनके रजिस्ट्रेशन के लिए काम कर रहे हैं और उन्हें संगठित क्षेत्र में लाने के लिए मोबाइल बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। पांड्या ने यह भी कहा कि हमें अधिक परेशानी नहीं हुई क्योंकि यह घोषणा ऐसे समय हुई जबकि विनिर्माण इकाइयां श्रमिकों के वार्षिक अवकाश के लिए बंद थीं। यदि ऐसा नहीं होता तो हम पर संकट आ सकता था।