पांच सौ और हजार की नोटों पर प्रतिबंध के बाद शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों की स्थिति बुरी हो चली है। शहरों में अब आम आदमी का धैर्य जवाब देने लगा है जबकि ग्रामीण इलाकों में किसान, मजदूर और मध्यमवग काफी परेशान हैं। शादियों का मौसम होने से स्थिति खराब हो चली है। लोग चेक का सहारा ले रहे हैं जबकि किसानों की जुताइ बुआइ प्रभावित हो रही है।
हालांकि लोगों ने सरकार के फैसले को सराहा है। लोगों का कहना है कि सरकार का फैसला सही है लेकिन समस्याए बढ़ गइ है।
जिलों में बैंकों के पास छोटे नोट खत्म हो गए हैं। कतार में खड़े लोगों को बैंकों के हाथ खड़े कर दिए जाने के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा। पेटोल पंपों के पास भी खुल्ला पैसा न होने से वह हजार और पांच के पेटोल लेने की बात कह रहे हैं। कई बैंक के एटीम में पैसा नहीं है। अभी तक बैंको में भी नयी करेंसी नहीं पहुंची है। स्थिति बेकाबू है। घंटों से कतार में खड़े रहने के बाद भी पैसा नहीं मिल रहा है। खेती के लिए समस्या हो रही है बैंक से पैसे नहीं मिल रहे हैं उधार से कब तक काम चलेगा।
अधिकांश बैंकों के पास कैश खत्म हो गया। बैंक के प्रबंधक बताते हैं कि हम पैसा जमा कर रहे हैं लेकिन हमारे पास छोटी नोट उपलब्ध नहीं है जब तक रही हमने लोगों को बांटे। उन्होंने कहा कि करेंसी नहीं पहुंची है। यह स्थिति अधिकांश बैंकों की है। लोग बैंकों में सुबह से कतार लगाए हैं। लेकिन अधिकांश बैंकों ने हाथ खड़े कर दिए उनके पास पैसा उपलब्ध नहीं हैं जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है। सभी की स्थिति कमोबेश यही है। लोग पैसा तो जमा कर रहे हैं लेकिन छोटी नोट उपलब्ध न होने से पैसा नहीं दे पा रहे हैं।
सरकार की घोषणा के अनुसार भी पैसा नहीं मिल पा रहा है। पहले चार, फिर दो बाद में हजार के बाद अब पैसा खत्म हो गया। एक महिला ने बताया कि उन्हें दवा लेना है लेकिन कोइ मुझे दवा नहीं दे रहा है हमारी तबियत खराब है। लोग कहते है कि हमारे पास खुल्ला पैसा नहीं है तो कहां से लाएं। जिससे स्थिति बुरी हो चली है। सोमवार को गुरुनानक जयंती होने से बैंकों में अवकाश रहेगा। उधर एटीम में पैसे नहीं है। नयी नोट सेट नहीं हो पा रही है। लोगों और बैंक सूत्रों ने बताया कि अभी तक करेंसी की आपूति सामान्य नहीं हो पायी है। लोगों का धैर्य अब जबाब दे रहा है। जब तक पर्याप्त मात्रा में नोटों की आपूति नहीं होती है यह स्थिति सुधरने वाली नहीं दिखती है।