नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश विधान सभा के अगले साल प्रस्तावित चुनावों के मद्देनजर अयोध्या मुद्दे पर बढ़ी सरगर्मी के बीच एक किताब में दावा किया गया है कि राम मंदिर को बाबर के नहीं बल्कि औरंगजेब के कार्यकाल में ढहाया गया था। पूर्व आइपीएस किशोर कुणाल की पुस्तक अयोध्या रीविजिटेड में इस आम धारणा को भी झुठलाया गया है कि अवध के तत्कालीन गवर्नर मीर बाकी ने 1528 में राम मंदिर को गिरा कर वहां पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। किताब के अनुसार, मंदिर को 1528 में नहीं बल्कि 1660 में अयोध्या में औरंगजेब के गवर्नर फेदाई खान ने गिरवाया था।
गुजरात कैडर के 1972 बैच के पूर्व आइपीएस कुणाल ने अंग्रेजी राज की पुरानी फाइलों, संस्कृत की प्राचीन पुस्तकों, इंग्लिश, फ्रेंच विद्वानों और पुरातात्विक खोदाई की समीक्षा को आधार बनाते हुए उपरोक्त दावा किया है। इसके जरिये उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की है कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मस्जिद निर्माण से पूर्व राम जन्मभूमि मंदिर था। बिहार के रहने वाले और वहां पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी कर्तव्यपरायणता के लिए चर्चित कुणाल ने किताब में मस्जिद निर्माण की अवधि को लेकर इतिहासकारों के दावों को खारिज किया है।
1990 में वह केंद्रीय गृह मंत्रालय में विशेष कार्याधिकारी थे और अयोध्या विवाद से आधिकारिक तौर पर जुड़े भी रहे। बकौल कुणाल, यह कहना गलत है कि बाबर ने राम जन्मभूमि मंदिर को गिराने का आदेश दिया था। वह अयोध्या कभी नहीं गया था। इतिहासकारों का यह भी कहना झूठ है कि मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। उनका कहना है कि बाबर से लेकर शाहजहां तक सभी मुगल शासक काफी उदार थे और सभी धर्मो को संरक्षण प्रदान करते थे। लेकिन औरंगजेब के लंबे शासन काल में देश में कट्टरता बढ़ी। पुस्तक की प्रस्तावना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जीबी पटनायक ने लिखी है।