लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौ आधारित प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन पर बल देते हुये वैज्ञानिकों से इस अभियान से जुड़ने का आवाहन किया और कहा कि इससे न केवल किसानों की आमदनी को बढाने में मदद मिलेगी बल्कि तमाम प्रकार के रोगों से भी छुटकारा मिलेगा।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर श्री योगी ने मंगलवार को कहा कि विषमुक्त खेती आज के दौर में हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है। केन्द्रीय बजट में इसके लिए ‘गौ आधारित प्राकृतिक खेती’ का प्रावधान किया गया है। गंगा के दोनों तटों के 05-05 किलोमीटर क्षेत्र में हमें प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाना है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इसमें सहयोग करेंगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने बुंदेलखंड के पूरे क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम बनाया है।
उन्होने कहा कि प्राकृतिक खेती, कम लागत में अच्छा उत्पादन और विष मुक्त खेती का अच्छा माध्यम है। इसके प्रोत्साहन के लिए वह सभी कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान करेंगे कि वे इस अभियान से जुड़ेंगे तो न केवल किसानों की आमदनी को कई गुना बढाने में हमें सहायता मिलेगी, बल्कि तमाम प्रकार के रोगों से मुक्ति का माध्यम भी मिलेगा और गौ माता की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। हम सभी लोग मिलकर इस कार्यक्रम में अपना योगदान करना चाहिए।
श्री योगी ने कहा कि राज्य सरकार सभी मण्डल मुख्यालयों पर टेस्टिंग लैब स्थापित करा रही है। यहां बीज और उत्पादन के सर्टिफिकेशन की कार्यवाही हो सकेगी। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए इस प्रकार हम अपने प्रदेश को ‘जैविक प्रदेश’ के रूप में विकसित करने में सफल होंगे।
उन्होने कहा कि अन्नदाता किसानों के हितों को ध्यान में रखकर वर्ष 2017 में हमारी सरकार ने फसल ऋण माफी के एक बड़े कार्यक्रम का निर्णय लेते हुए आगे बढ़ाया था। किसानों को लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में एमएसपी की जो घोषणा की, वह सफलतापूर्वक प्रदेश के अन्नदाता प्राप्त कर रहे हैं। रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्य का उत्पादन और किसानों से सीधे क्रय करने की व्यवस्था आज उत्तर प्रदेश में उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक आबादी वाला राज्य है। यहां देश की कुल आबादी की 17 फीसदी निवास करती है, लेकिन कृषि भूमि 12 प्रतिशत ही उत्तर प्रदेश में है। इसके बावजूद देश की 20 फीसद खाद्यान्न की आपूर्ति उत्तर प्रदेश करता है। यह यहां की उर्वर भूमि और प्रचुर जल संसाधन की उपलब्धता की ओर हम सबका ध्यान आकृष्ट करता है। उत्तर प्रदेश में पोटेंशियल है। अभी हमें बहुत कुछ सामने लाना है।
श्री योगी ने कहा कि रिकॉर्ड उत्पादन और किसानों से सीधे क्रय करने की व्यवस्था आज उत्तर प्रदेश में उपलब्ध है। पिछले पांच सालों में वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से कृषि विविधीकरण को जिस प्रकार आगे बढ़ाया गया, उसमें उपकार जैसी संस्थाओं के माध्यम से नई तकनीक, उन्नतशील बीज, चार कृषि विश्वविद्यालयों, 89 कृषि विज्ञान केंद्रों ने जिस प्रकार जमीनी धरातल पर उतारने में सहयोग किया है, उससे अन्नदाता किसानों की आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण सहयोग मिला है।
उन्होने कहा कि प्रदेश में बीते पांच वर्ष के अंदर हमने 21 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई है। दशकों से लंबित सिंचाई परियोजनाओं को (बाणसागर, सरयू नहर, अर्जुन सहायक आदि) समयबद्ध ढंग से पूरा करके हमने अन्नदाता किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने का प्रयास किया।
श्री योगी ने कहा कि 2017 में देश का चीनी उद्योग बंदी की ओर अग्रसर था, लेकिन बीते पांच वर्ष में हमने बंद पड़ी चीनी मिलों को संचालित किया। कोरोना के बीच 120 चीनी मिलें चलती रहीं। इन 05 वर्षों में हमने 1 लाख 75000 करोड़ का भुगतान गन्ना किसानों की करने में सफलता प्राप्त की।