नई दिल्ली, वित्त पोषण के लिहाज से साल 2015 में स्टार्टअप कंपनियों के लिए बड़े-बड़े फंड आए, वहीं 2016 में स्टार्टअप कंपनियों को कठोर वास्तविकता का सामना करना पड़ा। हालात कुछ इस कदर रहे कि साल 2016 में शुरु हुए 212 स्टार्टअप ने साल 2016 में ही दम तोड़ दिया। स्टार्टअप की यह संख्या बीते साल के मुकाबले 50 फीसदी तक ज्यादा है। डेटा एनालिस्ट फर्म ट्रैक्सन की माने तो बीते साल करीब 140 स्टार्टअप बंद हुए थे।
बिग बास्केट को टक्कर देने वाला स्टार्टअप भी हुआ बंदः बंद होने वाले स्टार्टअप में सबसे ज्यादा चौकाने वाला नाम पेपर टैप का है। पेपर टैप सबसे बड़ा किराने की डिलीवरी वाला स्टार्टअप था। इसने बिग बास्केट को कड़ी टक्कर दी थी। निवेशकों से सबसे ज्यादा फंडिग जुटाने के बाद बंद होने वाले स्टार्टअप्स में यह सबसे ऊपर है। इस कंपनी की शुरुआत साल 2014 में हुई थी। इसने बड़े निवेशकों जैसे सिकोइया कैपिटल, सैफ पार्टनर्स और ई-कॉमर्स के प्रमुख स्नैपडील सहित के एक लीग से 51 मिलियन डॉलर से ज्यादा फंड जुटाए थे।
अप्रैल में इसके संस्थापक नवनीत मिश्रा ग्रॉसरी बिजनस को बंद करने की घोषणा की। फंड जुटाने के बाद बंद हुए स्टार्टअपः 2014 में या उसके बाद शुरू हुए टॉप 10 स्टार्टअप्स से 7 स्टार्टअप्स, बड़ी मात्रा में फंड जुटाने के बाद बंद कर दिए गए। इसमें ऑनलाइन बुकिंग कूरियर सर्विस लेने वाली पार्शल्ड जिसने जून 2016 में अपना बिजनेस समेट लिया और लॉन्ड्री सर्विस देने वाली डोरमिन्ट का नाम शामिल है जिसने फंड की कमी के चलते सितंबर में अपना बोरिया-बिस्तर समेट लिया। नारवेस्ट वेंचर पार्टनर्स इंडिया के ईडी मोहन कुमार ने बताया कि जब आप स्टार्टअप्स के इकोसिस्टम पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि 20 फीसदी से ज्यादा स्टार्टअप को भी सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा कि यहां काफी प्रतिस्पर्धा है और सिर्फ कुछ स्टार्टअप ही बरकरार रह पाते हैं।