नई दिल्ली, विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के अदेशानुसार इस मामले में कुल 13 लोगों पर केस चलेगा, इनमें लालकृष्ण आडवाणी समेत 10 लोगों पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की याचिका मंजूर कर ली। अब लाल कृष्ण आडवाणी एवं भाजपा के अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक षड़यंत्र के मामले चलेंगे। कल्याण सिंह के खिलाफ फिलहाल कोई केस नहीं चलेगा। कल्याण सिंह गवर्नर के पद पर हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उन पर मुकदमा चलाने का आदेश नहीं दिया है। न्यायालय ने लखनऊ में आडवाणी, एम एम जोशी, उमा भारती एवं अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दो अलग-अलग मामलों की संयुक्त सुनवाई का आदेश दिया। इनमें से एक मामला लखनऊ में है, दूसरा रायबरेली में। कोर्ट ने कहा है कि दोनों मामलों की साझा सुनवाई रोजाना लखनऊ की कोर्ट में हो। साथ ही कोर्ट ने दो साल के भीतर दोनों मामले निपटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि फैसला आने तक जज का ट्रांसफर नहीं होना चाहिए। विवादित ढांचा विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही लखनऊ की अदालत को चार सप्ताह में कार्यवाही शुरू करने और यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि नए सिरे से कोई सुनवाई नहीं होगी। न्यायालय ने कहा कि उसके आदेश का शब्दशः पालन होना चाहिए और उसने उसके आदेशों का पालन नहीं किए जाने की स्थिति में पक्षों को न्यायालय के पास आने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि रायबरेली से मामला चार हफ्ते के भीतर लखनऊ की कोर्ट में ट्रांसफर हो जाना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पर अभी कोई मामला नहीं चलेगा। दरअसल, कल्याण सिंह को संविधान में मिली छूट का लाभ मिला है। लेकिन उनके कार्यालय छोड़ने के बाद ही उनके खिलाफ मामला चलाया जा सकता है। वहीं न्यायालय ने सीबीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अभियोजन के कुछ गवाह बयान दर्ज कराने के लिए निचली अदालत में पेश हों। बता दें कि आडवाणी और जोशी सहित भाजपा के 8 नेताओं पर रायबरेली की अदालत मे मुकदमा चल रहा है, लेकिन उसमें आपराधिक साजिश के आरोप नहीं हैं। लेकिन अब कोर्ट ने आडवाणी समेत 10 लोगों पर आपराधिक मामला चलाने का आदेश दे दिया है। इससे इन आडवाणी और जोशी समेत इन लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।। 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के दो मामलों पर ट्रायल चल रहा है। नेताओं को आरोपमुक्त करने के 2001 के फैसले को सीबीआई ने तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी थी, लेकिन तीसरे पक्षकार असलम भूरे ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद भूरे की पुनर्विचार और क्यूरेटिव याचिका भी खारिज हो गई थी। इस तरह वह आदेश अंतिम और बाध्यकारी हो चुका है। सीबीआइ ने इस मामले में 20 मई 2010 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने 2001 के फैसले पर मुहर लगा दी थी। वैसे बता दें कि अयोध्या में विवादित ढांचा ढहने के आरोपों से 17 साल पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह आदि का आरोपमुक्त होना महज किस्मत की ही बात कही जाएगी, क्योंकि जिस कानूनी तकनीकी खामी के आधार पर वे आरोप मुक्त हुए थे वह तो वास्तव में थी ही नहीं। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभियुक्तों को इस तकनीकी आधार पर आरोपमुक्त किया गया कि रायबरेली के मुकदमें को लखनऊ की अदालत स्थानांरित करते समय हाईकोर्ट से परामर्श नहीं किया गया था लेकिन इसकी जरूरत ही नहीं थी क्योंकि यूपी में संबंधित कानून 1976 में ही संशोधित हो गया है। संशोधन के बाद हाईकोर्ट से परामर्श जरूरी नहीं रह गया है।
विवादित ढांचे से जुड़े फैसले की प्रमुख बातें…
1. लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व शिक्षामंत्री मुरली मनोहर जोशी और मौजूदा जल संसाधन मंत्री उमा भारती सहित 13 लोगों के खिलाफ विवादित ढांचे को गिराए जाने के मामले में आपराधिक साजिश का मुकदमा चलेगा।
2. सीबीआई की याचिका को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं पर फिर से 6 दिसंबर 1992 के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाए जाने की इजाजत दी।
3. लखनऊ कोर्ट में दिन-प्रतिदिन के आधार पर मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 2 साल में पूरी करने को कहा है। इस दौरान सुनवाई करने वाले जज का ट्रांस्फर भी नहीं हो सकता।
4. विवादित ढांचे को गिराए जाने के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और फिलहाल राजस्थान के गवर्नर कल्याण सिंह पर इस मामले में केस नहीं चलेगा। लेकिन राज्यपाल के पद से हटते ही उन पर भी मामला चलाया जा सकता है।
5. लखनऊ कोर्ट ने 16 साल पहले तकनीकी आधार पर इन नेताओं से आपराधिक साजिश के आरोपों को हटा लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर इस मामले में केस चलाए जाने की इजाजत दी है।
6. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े दो मुकदमे एक साथ चलाने के निर्देश दिए हैं। इनमें से एक मामला लखनऊ में है, जबकि दूसरा रायबरेली में।
7. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर रही लखनऊ की अदालत को चार सप्ताह में कार्यवाही शुरू करने और यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि नए सिरे से कोई सुनवाई नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि उसके आदेश का शब्दशः पालन होना चाहिए। 8. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई को हर सुनवाई में अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाह पेश करना होगा। कोर्ट ने कहा, अगर गवाह उपलब्ध न हो तो सुनवाई स्थगित नहीं होगी।