गोरखपुर, जीवनभर शिक्षा देने वाले मरते-मरते रामप्यारे सिंह ने अपने शरीर को भी शिक्षा के समर्पित कर दिया। अब इनके शरीर पर अनुसन्धान होगा। आने वाली पीढियां नए अनुसंधानों से मिलाने वाले नए ज्ञान से मानवता की रक्षा करेंगी। हालाँकि गोरखपुर के रहने वाले बीएचयू के रिटायर्ड शिक्षक रामप्यारे का निधन मंगलवार को होने के बाद ही देहदान की औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं थीं लेकिन बुधवार को इसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज में रखा गया। अब डॉक्टरी की पढाई करने वाले छात्र इस शरीर पर रिसर्च करेगे।
खजनी के रहने वाले रामप्यारे सिंह बनारस में पढाई-लिखाई करने के बाद वहीं के हो गए। नौकरी भी उन्होंने बीएचयू में की। बताया जा रहा कि विवि के शिक्षा विभाग में वह थे। अभी कुछ साल पहले ही रिटायर्ड हुए। सड़क दुर्घटना में करीब 15 साल पहले पत्नी की मौत हो गई थी। एक बेटा रामप्रताप सिंह और एक बेटी डॉ. अलका सिंह हैं। पत्नी की मौत के बाद बच्चों के ही घर रहते थे। हालांकि, अधिक टाइम वह बेटी व दामाद डॉ. भूपेंद्र सिंह के पास रहते।
परिवारजन के मुताबिक उनकी इच्छा थी कि मरने के बाद भी उनकी शरीर किसी के काम आए। वह बार-बार इसके बारे में कहा करते थे। मंगलवार को उन्होंने शरीर त्याग दिया, इसके बाद परिवारीजन ने फैसला लिया कि उनकी आखिरी इच्छा पूरी की जाए। फिर परिजनों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज से संपर्क कर सारी औपचारिकता के बाद उनके शरीर को मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में सुरक्षित कर दिया। अब मेडिकल के छात्र शरीर विज्ञान के गूढ़ रहस्यों को साक्षात समझ सकेंगे जो भविष्य में समाज के काम आएगा।