नई दिल्ली, क्रिकेट प्रशासकों की समिति ने राज्य इकाइयों को भेजे पत्र में चेताया है कि यदि सात मई को होने वाली एसजीएम में बीसीसीआई की आमसभा भारतीय क्रिकेट के हितों के प्रतिकूल फैसला लेती है तो वे उच्चतम न्यायालय की शरण लेंगे। यह पत्र इन अटकलों के बीच लिखा गया है कि बीसीसीआई अगले महीने इंग्लैंड में होने वाली चैम्पियंस ट्राफी से पीछे हटने पर विचार कर रहा है। सीओए ने हालांकि साफ तौर पर कहा है कि ऐसे फैसले बिना सहमति के नहीं लिये जा सकते।
सीओए के पत्र में सदस्यों से यह भी कहा गया है कि आईसीसी भले ही फिर से बात करने को तैयार है लेकिन भारतीय बोर्ड की 57 करोड़ डालर की मांग उसे स्वीकार्य नहीं होगी। सीओए ने 13 बिंदुओं वाले पत्र में कहा है कि भारतीय क्रिकेट की रक्षा करने वाले किसी भी फैसले का समिति समर्थन करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि एसजीएम में अगर कोई भी फैसला ऐसा लिया गया जो भारतीय क्रिकेट के हितों के खिलाफ है तो सीओए उच्चतम न्यायालय का मार्गदर्शन लेने में नहीं हिचकिचायेगी।
इसमें कहा गया, हमें माननीय उच्चतम न्यायालय का ध्यान इस ओर आकषिर्त करना होगा। हम इस मसले पर उसके दखल की मांग करेंगे ताकि भारतीय क्रिकेट के हितों की रक्षा हो सके। एन श्रीनिवासन धड़े ने टेलीकांफ्रेंस के जरिये सदस्य भागीदारी समझौता के इस्तेमाल पर सहमति बनाने की कोशिश की जिसमें चैम्पियंस ट्राफी का बहिष्कार शामिल है। सीओए ने दसवें बिंदु में कहा, इसकी संभावना बिल्कुल कम है कि आईसीसी और अन्य क्रिकेट बोर्ड उस वित्तीय माडल पर सहमत होंगे जो 2014 में लाया गया था। सीओए चाहता है कि बातचीत जारी रहनी चाहिये जिससे आईसीसी 293 मिलियन डालर से 570 मिलियन डालर के बीच किसी रकम पर रजामंदी जता सकती है।