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भाजपा राज्यसभा में हुई मजबूत, अब अपनी पसंद का बना सकेगी राष्ट्रपति

parliyamentनई दिल्ली,  राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद अब राज्यसभा में सीटों का गणित बदल जाएगा। अब तक भाजपा को अपर हाऊस में नंबरों में कमी के चलते कई बिल पास करवाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था लेकिन उ.प्र. और उत्तराखंड में बहुमत में आने के बाद अगले एक साल में राज्यसभा में उसके सांसदों की संख्या बढ़ जाएगी। वह इसी साल जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार को जिताने की स्थिति में आ सकेगी। राष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया में लोकसभा व राज्यसभा के साथ-साथ राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य भी हिस्सा लेते हैं। यदि 5 राज्यों में से 2 में यू.पी., उत्तराखंड में भाजपा को बहुमत हासिल है तो वह राष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार की राह आसान कर देगी। राष्ट्रपति चुनाव में उ.प्र. विधानसभा की 403 सीटों की अहम भूमिका हो जाएगी। उप-राष्ट्रपति चुनावों पर इन परिणामों का कोई असर नहीं होगा। इसका उम्मीदवार लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों की वोटों से तय होता है।

राष्ट्रपति चुनाव में 10, 98, 882 वोटों की महत्ता होती है। इसमें जीत के लिए 5, 49 लाख वोट चाहिएं। भाजपा गठबंधन के पास 4, 57 लाख वोट हैं। यानी उसे 92 हजार और वोटों की जरूरत है। जिन 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं उनके 1, 03, 756 वोटों की अपनी भूमिका है। इनमें से सिर्फ उ.प्र. के वोटों की कीमत 83, 824 है। साथ ही 2 राज्यों में बहुमत के आधार पर अब भाजपा को पसंद का राष्ट्रपति मिल सकता है। राज्यसभा से 2018 में सेवानिवृत्त होने वाले 68 सांसदों में से 58 सांसद अप्रैल 2018 में ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इनमें से 10 उ.प्र. से हैं व 1 सांसद उत्तराखंड से। अभी राज्यसभा में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के 73 सांसद हैं। यू.पी.ए. के पाले में 71 सांसद हैं। संख्या बल के हिसाब से यू.पी.ए. से राजग आगे हैं पर बहुमत के आंकड़े 123 से वह पीछे है।

उ.प्र. विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद अपर हाऊस में उसके सांसदों की संख्या अब 10 और बढ़ जाएगी। अब विधेयकों को पास करवाने में उसे कम दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। भाजपा के नेताओं के मुताबिक यह तय है कि इस बार के चुनावी नतीजे नरेंद्र मोदी व अमित शाह के कद को और बढ़ाएंगे। पहले से ही पूरी तरह से पार्टी और सरकार पर मजबूत पकड़ बना चुकी मोदी-शाह की जोड़ी के लिए यह जीत मनोबल को और ज्यादा बढ़ाने वाली साबित होगी। यही नहीं, पार्टी के भीतर जो नाराज नेता मौके के इंतजार में थे, उनके रास्ते बंद हो जाएंगे। पार्टी के एक नेता के मुताबिक इन चुनावों में भी प्रचार का केंद्र बिंदु खुद मोदी ही रहे हैं। जाहिर है कि जीत का क्रैडिट उन्हें ही मिलेगा। इसी तरह से शाह को भी पार्टी के अब तक के सबसे सफल भाजपा अध्यक्ष का खिताब मिल जाएगा। अब तक उनके नेतृत्व में पार्टी ऐसे राज्यों में जीत हासिल कर चुकी है जहां इससे पहले शायद वह कभी मुख्य विपक्षी दल भी नहीं रही।

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