नई दिल्ली/इस्लामाबाद, भारत-पाकिस्तान संबंधों के लिए वर्ष 2016 सबसे खराब साल साबित होने जा रहा है। पाकिस्तान के आतंकी समूहों द्वारा आतंकी हमलों को अंजाम देने से शांति प्रक्रिया ठप पड़ गई जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत द्वारा लक्षित हमले किए जाने के बाद सीमा पर भारी गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गई जिससे बड़े पैमाने पर विवाद शुरू होने का खतरा भी उपजा।
साल की शुरुआत ही काफी खराब रही क्योंकि दो जनवरी को पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने पंजाब स्थित पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमला कर सात सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी। भारत ने पाकिस्तान से जवाब मांगा और पाकिस्तान की जमीन से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग को शांति प्रक्रिया से जोड़ दिया। पठानकोट हमला द्विपक्षीय संबंधों के लिए विनाशकारी साबित हुआ, खासतौर से इसलिए भी क्योंकि हमले से कुछ ही दिन पहले, पिछले साल 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात करने लघु दौरे पर लाहौर जा पहुंचे थे। इससे पहले, पिछले साल दिसंबर माह की शुरूआत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में भारत का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान पर हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने इस्लामाबाद पहुंचा था। इस सम्मेलन से इतर स्वराज और विदेशी मामलों पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज के बीच अच्छी बातचीत हुई थी और दोनों देश ठप पड़ी शांति प्रक्रिया को बहाल करने पर राजी हुए थे।
भारतीय विदेश सचिव का मध्य जनवरी में पाकिस्तान दौरा तय था लेकिन पठानकोट हमले के बाद सबकुछ बदल गया। जुलाई में भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद संबंध और तल्ख हो गए। सितंबर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने उरी में सेना के शिविर पर हमला कर 19 सैनिकों की हत्या कर दी। इसके कुछ दिन बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के सालाना सत्र में दोनों पक्षों ने एकदूसरे पर आतंकवाद फैलाने और मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया। संरा में कश्मीर मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बुरहान वानी को युवा नेता बताया और कहा कि पाकिस्तान कश्मीरी जनता के आत्मनिर्धारण की मांग का पूरा समर्थन करता है। संरा महासभा में भारत ने पहली बार बलूचिस्तान में सरकार की ओर से किए जा रहे बदतरीन दमन के लिए पाकिस्तान की निंदा की। नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सात आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा लक्षित हमलों के बाद नियंत्रण रेखा पर युद्ध जैसे हालात बन गए। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर बिना उकसावे की गोलीबारी का इल्जाम लगाते हुए एक दूसरे के राजदूत को कई बार तलब किया।
अक्तूबर में राजनयिक विवाद उपजा जब भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के एक कर्मचारी को जासूसी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण अवांछित व्यक्ति करार दिया। दिल्ली पुलिस ने भारत-पाक सीमा पर बीएसएफ की तैनाती समेत प्रतिरक्षा के अनेक संवेदनशील दस्तावेजों के साथ उसे रंगे हाथों पकड़ा था। पाकिस्तान ने भी भारतीय उच्चयोग के एक कर्मचारी को अवांछित करार देते हुए 48 घंटों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने नवंबर माह में उच्चायोग में तैनात अपने छह अधिकारियों को वापस बुला लिया। जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए उच्चायोग के उस कर्मचारी,जिसे देश निकाला दिया गया था ने बताया कि चार वरिष्ठ राजनयिकों समेत ये छह अधिकारी जासूसी में शामिल थे। ये सभी पाकिस्तान लौट गए। इसके बाद पाकिस्तान ने दावा किया कि भारतीय उच्चायोग के अधिकारी जासूसी, बलूचिस्तान और सिंध खासकर कराची में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को नुकसान पहुंचाने और दोनों प्रांतों में अस्थिरता लाने में शामिल हैं। भारतीय अधिकारी भी भारत लौट आए।
नवंबर माह के अंत में जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में एक सैन्य शिविर पर आतंकी हमला हुआ जिसमें सात सैनिकों की मौत हो गई। जल्द ही दोनों देशों का ध्यान सिंधु नदी जल समझौते पर केंद्रित हो गया। जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और राटेल जलविद्युत परियाजनाओं को लेकर पाकिस्तान की शिकायत के चलते निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त करने और मध्यस्थता अदालत के गठन के विश्व बैंक के फैसले का भारत ने कड़ा विरोध किया। हालांकि दिसंबर में विश्व बैंक ने सिंधु नदी जल समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई भिन्न प्रक्रियाएं रोक दी ताकि अपने मतभेदों को दूर करने के लिए दोनों देश वैकल्पिक तरीकों पर विचार कर सकें। पाकिस्तान की चोरी फिर पकड़ी गई जब अजीज ने स्वीकार किया कि कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव के खिलाफ सरकार के पास मौजूद सबूत अपर्याप्त हैं।
इस साल हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के आयोजन स्थल अमृतसर में पाकिस्तान ने अजीज को भेजा। पाकिस्तान की सैन्य कमान में बदलाव एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहा। पीओके से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ जनरल कमर जावेद बाजवा पाकिस्तान के नए सैन्य प्रमुख चुने गए। उन्होंने नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण हालात में जल्द सुधार का वादा किया। इसके अलावा पाकिस्तान की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई का प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नवीद मुख्तार को नियुक्त किया गया। इसे बाजवा की सेना पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा गया। पाकिस्तान और रूस के बीच संबंधों में गरमाहट बढ़ी। पाकिस्तान ने महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर रूस के साथ पहली बार विचार विमर्श किया। सितंबर में रूस ने पाकिस्तान के साथ पहला सैन्य अभ्यास किया और इस्लामाबाद को हथियारों की बिक्री भी शुरू कर दी। पाकिस्तान और रूस के संबंधों में निकटता उस दौरान आ रही थी जब भारत और अमेरिका के बीच संबंध मजबूत हो रहे थे। उल्लेखनीय रूप से अमेरिका लगातार पाकिस्तान पर आतंक के सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाता रहा।