नई दिल्ली, जांच एजेंसियों द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के प्रत्येक 100 मामलों में से करीब 19 में ही आरोपी पर दोष साबित हो पाता है। यह जानकारी एक स्वैच्छिक संगठन द्वारा पिछले 15 साल के आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आई है।
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशियेटिव द्वारा 2001 से 2015 तक किये गये आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला कि पंजाब में दोषसिद्धि की दर सर्वाधिक है और 36.58 प्रतिशत मामलों में अंत में दोष साबित होता है। मुकदमे के स्तर पर पहुंचने वाले भ्रष्टाचार के मामलों में दोषसिद्धि का राष्ट्रीय औसत ठीकठाक है और विश्लेषण के अनुसार अदालतों में पहुंचने वाले भ्रष्टाचार के करीब 35ः मामलों में आरोपी का दोष साबित होता है और उसे सजा सुनाई जाती है। भ्रष्टाचार के मामलों में केरल पहले पायदान पर है। इस राज्य में रिश्वतखोरी के 62ः मामलों में दोषारोपण सिद्ध होता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर आधारित अध्ययन के अनुसार, गोवा, मणिपुर और त्रिपुरा जैसे राज्यों में दोषमुक्त करने की दर शत प्रतिशत है। इन राज्यों में अदालतों ने सभी 30 आरोपियों को बरी कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में 90ः आरोपी आरोपमुक्त कर दिये गये।