मीडिया पर पकड़ बनाने के लिए, अखिलेश यादव को करने होंगे ये काम
April 29, 2017
लखनऊ, उत्तर प्रदेश से सत्ता जाने के बाद से ही आए दिन पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव मीडिया से नाराज दिखायी देतें हैं। उन्हे लगता है कि मीडिया उनके साथ भेदभाव कर रहा है, उनके समकक्ष दूसरे लोगों को स्पेशल ट्रीटमेंट दे रहा है। मीडिया को लेकर अखिलेश यादव की यह शिकायत काफी हद तक जायज भी हो सकती है।
अखिलेश यादव ने मीडिया पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में होने वाली किसी भी खराब घटना की खबर को टीवी पर उनकी तस्वीर के साथ दिखाया जाता था। क्या अब आप में से किसी की हिम्मत है कि मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लगाकर खबर दिखा दें? उन्होंने मीडिया से सवाल किया कि, वर्तमान बीजेपी की सरकार मे सहारनपुर में दंगा हुआ, इलाहाबाद में एक परिवार की हत्या की गई और प्रतापगढ़ में एक वकील का कत्ल हो गया। क्या ये खबरें मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ दिखाई गईं? पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बताया कि एक वरिष्ठ पत्रकार ने उनसे कहा कि आपके घर का झगड़ा टीवी चैनलों पर बहुत ज्यादा चल गया, जिसकी वजह से चुनाव में सपा की हार हुई।
इन सब वाकयों से एक बात तों पूरी तरह स्पष्ट हो गयी है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भारतीय मीडिया के चाल, चरित्र और चेहरे से पूरी तरह अनभिग्य हैं। अगर उन्हे इन बातों का जरा भी आभास होता तो वह खुलेआम मीडिया पर इस तरह का आरोप कदापि नही लगाते।
भारतीय मीडिया के चाल, चरित्र और चेहरे को समझने के लिये हमे उल्टा चलना होगा। दरअसल,भारतीय मीडिया के चाल के बजाय सबसे पहले भारतीय मीडिया के चेहरे को जानना होगा। इसके लिये समझना होगा भारतीय मीडिया मे व्याप्त जाति- व्यवस्था को। क्योंकि इसको जाने बगैर आप भारतीय मीडिया के चेहरे को नही पहचान सकतें हैं।
एक लाईन मे कहा जाये तो भारतीय मीडिया, बनिया- ब्राह्मण गठजोड़ है। एक को छोड़कर भारत के सभी बड़े मीडिया ग्रुप के मालिक बनिया हैं। लेकिन सबसे खास बात यह है कि इन्ही बड़े मीडिया ग्रुपों मे मालिक को छोड़कर, संपादक से लेकर नीचे रिपोर्टर तक मे, अगर किसी एक जाति का वर्चस्व है तो वह है ब्राह्मण जाति। इसलिये किसी और जाति के लिये यहां अवसर सहज नही है। दलितो और पिछड़ों के लिये तो स्थिति और भी बुरी है। उनकी संख्या मीडिया मे नगण्य है। अब अखिलेश यादव को यह अच्छी तरह से समझना होगा कि मीडिया मे व्याप्त यह जातिवादी गठजोड़, समाजवादी विचारधारा के अनुकूल नही है।
दूसरी, सबसे अहम बात है , मीडिया के चरित्र को समझने की। भारत मे पत्रकारिता अब कोई मिशनरी कार्य नही है। भारतीय मीडिया पूरी तरह से पूंजीपतियों की मुट्ठी मे है। पूंजीपति, उद्योगपति और औद्योगिक घराने अपने व्यापारिक हित के लिये मीडिया ग्रुप चला रहें हैं। ये समझना होगा कि ज्यादातर मीडिया ग्रुप किसी न किसी राजनैतिक विचार धारा, राजनैतिक दल या राजनेता से प्रभावित हैं और उनके लिये पर्दे के पीछे से कार्य करतें रहते हैं। राजनैतिक दल भी एेसे मीडिया समूहों को पूरा संरक्षण देतें हैं, सत्ता मे आने पर उनके मालिकों, संपादकों, पत्रकारों को लाभ पहुंचाते हैं। गाहे- बगाहे उनकी मदद करतें हैं। एेसे मे अखिलेश यादव का मीडिया से निष्पक्षता की उम्मीद करना, कहां तक व्यवहारिक है?
एेसा नही है कि अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल मे, मीडिया समूहों के मालिकों से लेकर, संपादकों , पत्रकारों तक को उपकृत न किया हो। इसके अनगिनत उदाहरण हैं। करोड़ों के विग्यापनों से लेकर, जमीन, ठेका पट्टा देना आदि साधारण बातें हैं। ज्यादातर से तो अखिलेश यादव का दोस्ताना व्यवहार रहा। लेकिन यहां वह मीडिया की चाल को समझने मे चूक गये। कल तक जो खास हुआ करते थे, सत्ता जाते ही उन्होने मुंह फेर लिया है। कल तक जो माल काटने के बाद भी, सीना ठोंक कर किसी भी अपराध पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की फोटो लगाकर खबर चलाते थे और पत्रकारिता धर्म निभाने की दुहाई देकर अखिलेश यादव को बरगलाते थे, आज यूपी की बद्तर कानून व्यवस्था पर अखिलेश, उन्हे पत्रकारिता धर्म निभाने का पालन न करते देख बेचैन हैं। जबकि यह उनकी चाल थी, जिसे अखिलेश यादव समझ नही पाये।
अगर ज्यादातर का उत्तर न में आये तो समझ लीजियेगा कि अखिलेश यादवसे एक बड़ी चूक हुयी है। जिसकी भरपाई करने मे अब उन्हे समय लगेगा।
भारतीय राजनीति मे मीडिया का अहम रोल है। मीडिया मुख्यत: जनमत निर्माण का कार्य करता है। जनमत ही राजनैतिक दल को सत्ता तक पहुंचाता है, राजनेता को जननेता बनाता है। चूंकि अखिलेश यादवको अभी भारतीय राजनीति मे एक लंबी पारी खेलनी है, इसलिये ये जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा मीडिया- सपोर्ट अखिलेश यादवको मिले। इसलिये अभी से इन पांच यक्ष प्रश्नों के भावार्थ की गहराई को आत्मसात कर, उन पर अमल करने की शुरूआत कर दें, आने वाले दिनों मे भारत की मेन स्ट्रीम मीडिया के आप आंखों के तारे होंगे।