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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, विधायकों को दिये, विधायिका के मूलमंत्र

 लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज विधायकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि लोकतंत्र में विधायिका का अपना महत्व है, हम संसदीय लोकतंत्र में विधायिका की भूमिका को नकार नहीं सकते हैं। उन्होने कहा कि  संसदीय मंच पर आपके द्वारा कही बात बहुत अहम रखती है।
सदन लोकतंत्र की आधारशिला के साथ अपने व्यक्तित्व की भी परिचायक है, जहां संभावनाएं हैं वहीं उम्मीद है। सदन अपने आपको सुधारने का मंच है, आपके द्वारा कही बात आगे आने वाली कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन कर सकती है। नौकरशाह, जज और सेना का प्रमुख भी चाहता है कि वह सांसद बन जाए। विधायिका के सामने विश्वसनीयता का संकट है, सबसे जवाबदेय विधायिका होती है, हम पांच साल बाद जनता के बीच जाते हैं और जनता को हमें नकारने का अधिकार होता है, ऐसे में विधायिका सबसे ज्यादा जवाबदेह होती है। क्या आप उम्मीद करते हैं कि अगर न्यायाधीश को एक बार बना दें तो वह पांच साल बाद फिर से जनता के बीच जाएगा।
उन्होने कहा कि संसदीय मंच पर आपके द्वारा कही बात बहुत अहम रखती है, आपके क्षेत्र में कोई घटना हो तो डीएम या एसपी जाए या ना जाए आप जरूर जाएंगे। कोई गरीब व्यक्ति आपके पास आए तो आपको अपने खर्चे से पैसा काटकर उसे सहयोग करना है। आप हर संकट में खड़े हो रहे हैं, सर्दी, गर्मी, बरसात देखे बगैर आप अपनी उपस्थिति को दर्ज कराते हैं। इसके बाद भी आपको जवाबदेह नहीं माना जाता है, ऐसा क्यों है इसपर सोचने की जरूरत है। सदन में हमारी अनुपस्थिति भी इसका एक कारण है, सदन में आपकी मर्यादा और जनप्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी एक कारण है। गंदगी एक व्यक्ति फैलाता है लेकिन बदनाम पूरी संस्था होती है, कैसे हम अपनी विश्वसनीयता को बना सके इसके हमें प्रयास करने चाहिए।
योगी आदित्यनाथ ने  कहा कि हम चाहते हैं कि यूपी की विधानसभा देश की विधानसभाओं के लिए आदर्श बने। पिछले समय यह सदन सिर्फ 20-25 दिन चलता था, लेकिन जिस दिन हम 90 दिन विधानसभा को चला सके तो यह बड़ी उपलब्धि होगी, ऐसा होने पर किसी भी तहसील में कोई गड़बड़ी नहीं हो पाएगी, क्योंकि लोगों को पता है कि उनका विधायक उनकी बात को रखेगा। यूपी पर प्रकृति और परमात्मा की कृपा है मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने चुनाव में जो भी कहा हो लेकिन हम किसी के साथ भी अन्याय नहीं होने देंगे, किसी को भी कानून हाथ में लेने की छूट नहीं होगी। विकास की योजनाओं में किसी भी तरह का कोई भी भेदभाव नहीं किया जाएगा, ऐसा अवसर तब आएगा जब आप विधानसभा में आएं और अपनी बात को रखे। विधानसभा को चलाना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है।