मूंछों वाली सेल्फी कैसे बनी, जातिवादी सोंच के विरोध का तरीका ?
October 6, 2017
नई दिल्ली, जातीय भेदभाव हमारे देश के लिए कोई नई बात नहीं है। हजारों सालों की वर्णवादी परंपरा के कारण, एेसी घटनाओं का ना तो व्यापक तौर पर विरोध होता था और ना ही यह कोई खबर बनती थी। अस्सी-नब्बे के दशक तक दलित जनसंहार की खबरें अक्सर सुनायी पड़ती थीं और इसको बढ़ावा इसलिये मिलता था कि राजनैतिक संरक्षण के कारण एेसा करने वाले ज्यादातर सजा नही पाते थे।
लेकिन देश की राजनीति में आए दलित-पिछड़ों के उभार का नतीजा है कि अब जातीय उत्पीड़न की घटनाओं का खुलेआम विरोध शुरू हो गया है। एेसा नही है कि ऐसी घटनाओं में कमी आई हो या एेसी बीमार मानसिकता वाले अब लोग नही हैं। लेकिन अब राजनीति में आए दलित-पिछड़ों के उभार के कारण राजनैतिक संरक्षण के अभाव में ऐसी बीमार सोच वाले लगातार सफाई की मुद्रा में दिखने लगे हैं।
हाल ही मे, गुजरात के गांधीनगर के एक गांव में दो दलित युवकों पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि उन्होंने मूंछें रखी हुई थीं। जब इस घटना की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई तो एक युवक पर दोबारा ब्लेड से हमला किया गया। आरोप है कि हमले में कुछ सवर्णों का हाथ है। इससे पहले भी यहां मूंछ रखने के नाम पर दो दलितों को पीटने का मामला सामने आ चुका है।
जातीय भेदभाव और उत्पीड़न की अन्य घटनाओं की भांति ये घटना भी अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियां न बन सकीं, लेकिन इस घटना ने जातीय उत्पीड़न से त्रस्त पढ़े लिखे, टेक सेवी युवाओं के लिये आग मे घी का काम किया। युवाओं के आक्रोश को व्यक्त करने का माध्यम बना सोशल मीडिया।
सबसे पहले इस घटना के विरोध में वॉट्सऐप पर मि. दलित नाम से एक ग्रुप बना. आक्रोशित युवाओं ने अकड़ी हुई मूंछों के नीचे लिखे मि. दलित को प्रोफाइल पिक बनाना शुरू कर दिया। लेकिन जातीय भेदभाव की बीमार सोच रखने वालों को भला यह कैसे बर्दाश्त होता, एेसा करने वालों पर हमले शुरू हो गये।
लेकिन इन हमलो की चर्चा सोशल मीडिया पर शेयर होते ही, इसे बड़ा समर्थन मिलने लगा। अब सोशल मीडिया पर, बीमार सोच वाले लोगों के विरोध का दौर शुरू हो गया। सैकड़ों युवा व्हॉट्सएप पर अपनी डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) के स्थान पर, हमलों के विरोध मे मूंछ वाली तस्वीर लगाने लगे। यही नही फेसबुक और ट्विटर पर युवा घटना के विरोध में अपनी मूंछ वाली सेल्फी शेयर करने लगे।
फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी #DalitWithMoustache हैश टैग के साथ प्रोफाइल तस्वीरें बदली जाने लगी हैं।मूंछों वाली सेल्फी के साथ ही मूंछों के कारण दलितों पर हो रहे हमले के खिलाफ अभियान से जुड़ने का आग्रह किया जा रहा है. सेल्फी के साथ ब्लेड मारकर घायल किये गये दलित युवक की फोटो भी शेयर की जा रही है।
जातीय उत्पीड़न से आक्रोशित युवा इस छोटे से विरोध को जन आंदोलन बनाने की राह पर हैं। वे अपनी मूंछों वाली सेल्फी के साथ, अपील कर रहें हैं- “अगर आप भी जातीय भेदभाव जैसी बीमार सोंच के खिलाफ हैं तो मूंछों पर ताव देती हुई सेल्फी लगाएं”। #DalitWithMoustache