नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने मौत की सजा पाए एक व्यक्ति की सजा की तामील पर रोक लगा दी है। इस व्यक्ति को वर्ष 2003 में हुए उारप्रदेश पंचायत चुनाव के बाद चुनावी दुश्मनी के कारण छह लोगों की हत्या के दोष में मौत की सजा सुनायी गयी है।
न्यायमूर्त दीपक मिश्रा, न्यायमूर्त अमिताव रॉय और न्यायमूर्त ए.एम. खानविलकर की पीठ ने अभियुक्त मदन की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए इस मुकदमे से जुड़े निचली अदालत के रेकार्ड तलब किये हैं। इस मामले से जुड़ी प्राथमिकी मुजफ्फरनगर जिले में दर्ज है। पीठ ने कहा, अवकाश मंजूर किया जाता है।
इसके लिए निचली अदालत के रिकॉर्ड तलब किए जाएं। मौत की सजा की तामील पर रोक रहेगी। मदन को जुलाई 2015 में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे इस साल फरवरी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मदन ने अपने साथियों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवारों के परिजनों और समर्थकों पर गोलियां चलाईं। इस प्रकरण में छह लोग मारे गए थे। सुनवायी के दौरान मदन और अन्य ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया था और दावा किया था कि उन्हें चुनावी दुश्मनी के चलते झूठे मामले में फंसाया गया।