पटना, केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह के मुसलमानों की आबादी बढ़ने से उन्हें अल्पसंख्यक कहे जाने की समीक्षा की बार-बार मांग किए जाने का भाजपा के नेताओं ने समर्थन किया है। वहीं प्रदेश में सत्ताधारी महागठबंधन दलों ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह सांप्रदायिक भावना का गलत इस्तेमाल कर उसका लाभ उत्तर प्रदेश चुनाव में जीत हासिल करने की एक साजिश है। केंद्रीय राज्य मंत्री और बिहार के नवादा लोकसभा क्षेत्र से सांसद गिरिराज सिंह ने टीवी चैनलों पर अपनी टिप्पणी के दौरान एक बार फिर देश में करीब 20 करोड़ आबादी वाले मुसलमानों को अल्पसंख्यक कहे जाने की समीक्षा किए जाने की मांग की है। इससे पूर्व गत वर्ष अक्तूबर महीने में गिरिराज ने इस मुद्दे को वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान उठाया था।
भाजपा नेताओं द्वारा जहां गिरिराज के बयान का समर्थन किया जा रहा है, वहीं राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनकी पार्टी के कई नेताओं ने इसे खारिज किया है। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने गिरिराज की टिप्पणी का समर्थन करते हुए इसे उचित और प्रासंगिक बताते हुए कहा कि इस पर गहन विचार किया जाना चाहिए। लालू ने कहा कि वे (गिरिराज) मेंटल केस हैं..उन्हें भाजपा द्वारा सांप्रदायिक टिप्पणी करने की जिम्मेदारी दी गयी है। लालू के पुत्र और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि गिरिराज सिंह द्वारा इस तरह का बयान देने का उद्देश्य सांप्रदायिक भावना का गलत इस्तेमाल कर उसका लाभ उत्तर प्रदेश चुनाव में हासिल करने की एक साजिश है। बिहार के अल्पसंख्यक मंत्री और राजद नेता अब्दुल गफूर ने गिरिराज सिंह के अपने बड़बोलेपन के लिए जाने जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री स्वयं सांप्रदायिक मतलब से ओतप्रोत बयान देते हैं तो ऐसे में उनके अन्य मंत्रियों के बारे में क्या कहा जा सकता है। राजग में भाजपा की सहयोगी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी गिरिराज की राय से सहमत नहीं हैं और उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय का निर्धारण कुछ मापदंड के तहत तय किया जाता है और केंद्र द्वारा स्थापित दो आयोगों ने मुसलमानों के सामाजिक, शैक्षणिक बुरी स्थिति का आकलन किया है ऐसे में इस मामले की समीक्षा की आवश्यकता नहीं है।