लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ निवेश को लेकर हुये एमओयू के बाद राज्य के ग्रामीणों को बेहतर चिकित्सा परामर्श और जरूरी टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक परियोजना की शुरूआत गुरुवार को राजधानी लखनऊ में हो गयी।
सरोजनीनगर क्षेत्र के ग्राम पिपरसंड में शुरू हुयी इस पहली डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक का उद्घाटन परियोजना को तैयार कर धरातल पर लाने वाले ओब्डू ग्रुप के सीईओ संजय कुमार ने किया। इस मौके पर ग्रुप के वरिष्ठ सदस्य व श्री कन्छिद सिंह सहित कई प्रमुख लोग मौजूद थे।
सीईओ कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश की प्रत्येक ग्रामीणों तक बेहतर चिकित्सा व जरूरी टेस्ट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये राज्य के सभी ग्राम पंचायतों में डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक स्थापित की जा रही है। जिसके क्रम में डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक की शुरूआत आज पिपरसंड से की जा रही है। इसके उपरान्त लखनऊ के मॉल के नरायनपुर ग्राम पंचायत में दूसरी क्लीनिक भी खुलने के लिये पूरी तरह तैयार है।
उन्होने बताया कि इस क्लीनिक के शुरू होने से पिपरसण्ड ग्राम पंचायत क्षेत्र के ग्रामीणों को चिकित्सकों के द्वारा ऑनलाईन परामर्श के साथ सभी प्रकार के फीवर प्रोफाइल जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, लिवर फंक्शन, शुगर पीलिया आदि जरूरी टेस्ट के साथ अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध होगी। मौके पर ही तीन से पांच मिनट में टेस्ट रिपोर्ट उपलब्ध होने के आधार पर दवाईयां भी उपलब्ध करायी जायेगी।
कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग का सबसे बड़ा समझौता ज्ञापन ओब्डू ग्रुप के साथ किया था जो कि डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक परियोजना के लिए है। इस परियोजना में होने वाला निवेश 3350 करोड़ रुपये है। पूरा प्रोजेक्ट 10 हजार करोड़ रुपये का है जिसके पहले चरण में 3350 करोड़ के एमओयू के साथ किया जा रहा है। यह परियोजना ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्र के स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करेगी, जिससे झोला छाप डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली मृत्यु दर को काम किया जा सकेगा। इसके साथ ही डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाले मृत्यु दर को अब काम किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक न केवल ग्राम पंचायत तक सीमित रहेगी बल्कि ब्लॉक स्तर पर भी 20 से 50 बेड के अस्पताल बनाकर ग्रामीणों को सरकारी योजनाएं जैसे आयुष्मान भारत योजना का लाभ दिया जाएगा डिजिटल डॉक्टर क्लीनिक परियोजना न केवल उत्तर प्रदेश की बल्कि ऐसिया की पहली योजना है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकी का इस्तेमाल करके ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त किया जा रहा है। क्लीनिक पर मरीजों की केयर करने के लिए अटेंडेंट भी मौजूद रहेंगे।