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रविशंकर प्रसाद ने कहा,राहुल गांधी से देश मांगे माफी….

नयी दिल्ली,भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राफेल मामले में उच्चतम न्यायालय के आज के फैसले को सत्य और देश की सुरक्षा की विजय तथा मोदी सरकार की निर्णय प्रक्रिया में ईमानदारी पर अदालत की मुहर करार दिया है और कांग्रेस पार्टी एवं उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से देश से विधिवत क्षमा याचना करने की मांग की है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यहां भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राफेल के संबंध में 14 दिसंबर 2018 के उसके फैसले पर पुनर्विचार याचिका को आज खारिज कर दिया है। इससे उसका 11 माह पुराना फैसला ही मान्य रहेगा। आज के इस निर्णय से सत्य और देश की सुरक्षा की विजय हुई है तथा मोदी सरकार की ईमानदार निर्णय प्रक्रिया पर सर्वोच्च अदालत की मुहर लगी है।

उन्होंने कहा, “सत्यमेव जयते।”श्री प्रसाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आज के फैसले के बाद कांग्रेस और उसके अध्यक्ष रहे श्री राहुल गांधी से मांग करते हैं कि वह देश से औपचारिक रूप से क्षमा याचना करें और बतायें कि कांग्रेस एवं वह राफेल को लेकर झूठ के आधार पर इतना आक्रामक, बेबुनियाद, शर्मनाक अभियान क्यों एवं किसके इशारे पर चला रहे थे।

उन्होंने कहा कि जिनके पूरे हाथ जीप घोटाले से लेकर स्कॉर्पीन पनडुब्बी और अगुस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर तक रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार से रंगे हैं, वे देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ को प्रायोजित कार्यक्रम की तरह न्याय की गुहार के रूप में प्रस्तुत कर रहे थे।उन्होंने 14 दिसंबर 2018 के फैसले का पुन: उद्धृत करते हुए कहा कि धारणाओं एवं सोच किसी घोटाले की जांच का आधार नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने विमान को खरीदने की निर्णय प्रक्रिया, मूल्यांकन, ऑफसेट निर्धारण आदि में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं पायी और श्री गांधी के सभी आरोपों को गलत माना है।

अदालत ने यह भी कहा है कि देश की सुरक्षा के लिए सेना को समुचित प्रौद्योगिकी, आयुध एवं अन्य सामग्री मिले, यह देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है।श्री प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस एवं श्री गांधी एक बार 14 दिसंबर 2018 को उच्चतम न्यायालय में हारने के बाद आम चुनावों में जनता की सबसे बड़ी अदालत में भी इस मुद्दे को ले गये थे। वहां भी जोरदार पराजय हुई। इसके बाद पुनर्विचार याचिका खारिज हो गयी।

गांधी ने देश के ईमानदार एवं लोकप्रिय नेता को ‘चोर’ कहा और चुनाव अभियान में अलग-अलग कीमतें बना कर वह उपहास का पात्र बने। फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों एवं पूर्व राष्ट्रपति फ्रांकुआ होलांद को बदनाम किया तथा संसद में झूठ बोला जिसके बाद फ्रांस सरकार को सत्र के बीच में ही बयान जारी करना पड़ा था।