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रामपाल के बाद रामवृक्ष- यादवों को अवैध कब्जेदार बताने पर तुली अखिलेश सरकार

Rampal Yadav MLAलखनऊ, अभी कुछ दिन पहले की बात है यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज िस्थत जियामऊ मे सपा के विधायक रामपाल यादव के काम्पलेक्स पर डी एम – एसएसपी सहित लगभग १२ थानों की पुलिस ने कुछ इस तरह धावा बोला कि लगा कि किसी बहुत बड़े अपराधी के खिलाफ कोई बड़ी पुलिस कार्यवाही होने जा रही है। पर आधा दर्जन जेसीबी ने बिना किसी नोटिस के विधायक रामपाल यादव के काम्पलेक्स  को गिराना शुरू कर दिया। विधायक रामपाल यादव को खबर लगी तो वह बचाने पहुंचे। विधायक सहित पूरे परिवार की बेइज्जती की गई और विधायक रामपाल यादव तथा उनकी बेटी सहित नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया। विधायक रामपाल यादव को भूमाफिया सिद्ध करने मे यूपी सरकार ने कोई कसर नही छोड़ी।  वीसी लखनऊ विकास प्रािधकरण ने बताया कि इमारत का नक्शा नही पास है इसलिये गिराया जा  रहा है। सुनकर अच्छा लगा। विधायक रामपाल यादव का काम्पलेक्स अभी पूरी तरह गिरा भी नही था कि सीतापुर मे स्थित उनका होटल भी जमांदोज कर दिया गया। बताया गया कि होटल कब्जे की जमीन पर बना था इसलिये गिराया गया।  विधायक रामपाल यादव के गोमती नगर सि्थत आवास को भी गिराने की तैयारी भी हो गई बताया  गया कि मकान गलत नक्शे से बना है। लेकिन तबतक विधायक रामपाल यादव की पत्नी कोर्ट की शरण मे पहुंच गई इसलिये मकान बच गया।

यह देखकर लगा कि अब सरकार ने अवैध निर्माण और भूमाफियाओं के खिलाफ जंग छेड़ दी है और चाहे कोई कितना भी पावरफुल क्यों न हो बखशा नही जायेगा। लेकिन यह क्या उसके बाद यह अभियान कहीं नजर नही आया। लखनऊ मे ही हजारों इमारतें बिना नक्शे के, कब्जे की जमीनों पर बनी है, उनकी तरफ एलडीए की नजर ही नही जा रही है।  लखनऊ के सपा के ही विधायक शारदा प्रताप शुक्ला के खिलाफ जमीन के अवैध कब्जों को लेकर कई शिकायतें हैं लेकिन पता नही सरकार की क्या मजबूरी है कि कोई कार्यवाही नही की जा रही है।

एक महीना भी नही बीता है कि अवैध कब्जे को लेकर प्रदेश सरकार का दूसरा बड़ा अभियान मथुरा मे शुरू हो गया। यहां भी निशाने पर रामपाल यादव के बाद रामवृक्ष यादव। इसको महज संयोग तो नही कहा जायेगा। और इसका यह भी अर्थ नही लगाया जा सकता कि यूपी मे सारे अवैध कब्जे सिर्फ यादवों ने ही कर रखें हैं। फिर आखिर एसा क्यों कर रही है यूपी सरकार। सरकारी जमीन पर कबजा करना किसी भी नजर से सही नही है , इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है लेकिन प्रदेश सरकार अवैध कब्जे को लेकर सिर्फ यादवों के खिलाफ क्यों अभियान चला रही है । क्या उसे दूसरों द्वारा किये गये अवैध कब्जे नजर नही आरहें हैं। आखिर यादवों की छवि खराब कर क्या दिखाना चाह रही है अखिलेश सरकार।

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