नई दिल्ली, अभी तक नोटबंदी के फैसले को लेकर पीएम मोदी का पुरजोर तरीके से विरोध कर रहे राहुल गांधी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर अब पार्टी में भीतरघात की स्थिति पैदा हो गई है। इस मुलाकात को लेकर पार्टी की उच्च कमांड कुछ कहने को तैयार नहीं है। जबकि राहुल गांधी का इस मुलाकात पर यह कहना है कि वह यूपी के किसानों की मांग को लेकर पीएम के पास गए थे। वो पीएम को यूपी के किसानों के साथ पेश आ रही समस्या से अवगत कराने की गर्ज से पीएम मोदी से मिले हैं। राहुल के साथ मल्लिकार्जुन खडगे, गुलाम नबी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आनंद शर्मा, कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकात ने एकजुट विपक्ष के बीच फूट डाल दी है। राहुल-पीएम की मुलाकात के बाद गैरकांग्रेसी चार पार्टियों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। दूसरी विपक्षी पार्टियों जैसे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, डीएमके और लेफ्ट पार्टियों ने प्रधानमंत्री के साथ कांग्रेस नेताओं की मुलाकात पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। इन विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। लेकिन, कई विपक्षियों को पार्टियों को कांग्रेस ने साथ आता ना देखा तो वो राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए भी कुछ विपक्षी दल के नेताओं के साथ ही चले गए।
इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने विपक्ष की एकजुटता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टियां अपनी सुविधा अनुसार आगे बढ़ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक गुलाम नबी आजाद और सीपीएम लीडर सीताराम येचुरी ने विपक्षी नेताओं को मनाने की हरसंभव कोशिश की। हालांकि इन पार्टियों के नेता नहीं माने। इसके बाद कांग्रेस नेता कई विपक्षी पार्टियों के बिना ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने चले गए। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा, हमने राष्ट्रपति को बताया कि विपक्ष नोटबंदी, किसानों की समस्या और छोटे व्यापारियों पर संसद में बहस चाहता था। खडगे ने कहा कि सरकार संसद को सुचारू रूप से चलाने में असफल साबित हुई है। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति के पास न जाने के सवाल पर सीपीएम लीडर सीताराम येचुरी ने कहा, हमने पहले ही कहा था कि इसमें राष्ट्रपति क्या करेंगे। हमारा मानना था कि जनता के पास जाएं। दिलचस्प है कि शीत सत्र में नोटबंदी के मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट था, लेकिन सत्र के आखिरी दिन मोदी और राहुल की मुलाकात ने इस एकजुटता में फूट डाल दी है।